सड़को, पुलों और एक्सप्रेसवे इन सब के निर्माण के साथ जहाँ सरकार और प्रदेश खुद को विकास के पथ पर अग्रसर मानते हैं वहीं जब तीन- चार दिन की बारिश में इन्ही सड़कों, पुलों और एक्सप्रेसवे की खराब हालत देखने को मिलती है तो विकास का शोर मचाने वाला ढोल फटा साबित होता है.

एक हिस्सा खाई की और खिसका:

सड़को, पुलों और एक्सप्रेसवे इन सब के निर्माण के साथ जहाँ सरकार और प्रदेश खुद को विकास के पथ पर अग्रसर मानते हैं वहीं जब तीन- चार दिन की बारिश में इन्ही सड़कों, पुलों और एक्सप्रेसवे की हालत देखने को मिलती है तो विकास का शोर मचाने वाला ढोल फटा साबित होता है.

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आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे और शाहजहाँपुर के 6 महीने पहले शुरू हुए पुल के बाद अब रायबरेली जिले में करोड़ो की लागत में बन रहे ओवरब्रिज की गुणवत्ता की पोल भी खुलना शुरू हो गयी हैं.

निर्माणाधीन ओवरब्रिज के रास्ते मे हुआ बड़ा गढ्ढा:

ये पूरा मामला रायबरेली जिले के मामा चौराहे के पास स्थित निर्माणाधीन ओवरब्रिज का है जहाँ निर्माण कार्य में हुई लापरवाही की वजह से बनने से पहले ही ओवरब्रिज का एक हिस्सा धंस गया है. जो पुल अभी बन ही रहा है जब पहली बारिश को नहीं झेल सका तो सवाल ये उठता है कि इसकी गुणवत्ता का पैमाना कैसे और किस हद तक मापा जाये.

बता दें कि निर्माणाधीन ओवरब्रिज में जहाँ बीच रास्ते में ही बड़ा गड्ढा हो गया है. वहीं बनने से पहले ही पुल का एक किनारा धंस गया है. इतना ही नहीं पुल की शुरुआत के एक बड़े हिस्से की बीम खिसक गयी है. जिसके कारण पुल का वह हिस्सा गहरी खाई की तरफ खिसक रहा है.

इसे सेतु निगम की न केवल बड़ी लापरवाही सामने आई हैं बल्कि पुल निर्माण में बड़ी धान्द्ली और भ्रष्टाचार उजागर हुआ है. इससे फ्गले वाराणसी में भी निर्माणाधीन पुल का एक हिस्सा गिरने के बाद सेतु निगम का बड़ा भ्रष्टाचार उजागर हुआ था.

अधिकारी और जिम्मेदार लोग ऐसे मामलों में अपना पल्ला झाड़ लेते है और दुर्घटना का शिकार आम जनता होती है. इसलिए जरुरी है कि रायबरेली पुल के निर्माण से पहले ही जिस वजह से पुल की ये दुर्दशा हुई है उसके कारणों का पता लगाया जाये. और पुल का निर्माण मानकों के आधार पर इमानदारी से किया जाये.

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