उत्तर प्रदेश के फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर सभी पार्टियों में हलचल मच गई गई है.  इसी कर्म में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में उपचुनाव को लेकर समर्थन को लेकर चर्चाएँ शुरू हो गयीं हैं. बता दें कि लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी का मुकाबला करने के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी आज एक दूसरे से हाथ मिला सकती हैं. आज रविवार को लखनऊ में बसपा की होने वाली मीटिंग में इस संबंध में फैसला हो सकता है.

उत्तर-पूर्व में भगवा बयार के बीच यूपी में नए समीकरण बनते नजर आ रहे हैं। बसपा गोरखपुर व फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा प्रत्याशियों का समर्थन कर सकती है।

उत्तर प्रदेश के चुनाव में कांग्रेस के साथ मोहभंग होने पर अब समाजवादी पार्टी को अपने धुर विरोधी बहुजन समाज पार्टी के साथ हाथ मिलाना पड़ा रहा है। माना जा रहा है कि गोरखपुर तथा इलाहाबाद के फूलपुर लोकसभा उप चुनाव में यह दोनों धुर विरोधी मिलकर भारतीय जनता पार्टी को पटखनी देने के जतन में लगे हैं।

उपचुनाव से दूर रहने वाली बसपा फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा सीट के उपचुनाव में सपा का समर्थन करेगी। पार्टी ने अब तक इसकी अधिकृत तौर पर घोषणा तो नहीं की है लेकिन, पदाधिकारियों को इस बारे में बता दिया गया है। समर्थन के बेहतर नतीजे निकले तो राज्यसभा और विधान परिषद सदस्यों के चुनाव में भी सपा-बसपा एक-दूसरे के साथ रहेगी। इतना ही नहीं सब कुछ ठीक रहा तो अगले वर्ष होने वाले लोकसभा के आम चुनाव में भाजपा से मुकाबला करने के लिए दोनों पार्टियां मिलकर चुनाव भी लड़ सकती हैं।

बसपा का एक बड़ा तबका 2019 के लोकसभा के चुनाव में भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता के लिए पैरवी कर रहा है। शनिवार को त्रिपुरा में वाम किला ढहने की सूचना के बाद अचानक बसपा के समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों के समर्थन की चर्चाएं तेज हो गईं। हालांकि बसपा के जिम्मेदार नेताओं ने इस तरह की किसी सूचना से इन्कार किया है।

दरअसल, 2012 में सूबे की सत्ता गंवाने के बाद लोकसभा और फिर विधानसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बावजूद बसपा प्रमुख मायावती चुनावी गठबंधन से अब तक इंकार ही करती रही हैं लेकिन भाजपा का बढ़ता ग्र्राफ कहीं न कहीं उन्हें परेशान करने वाला है। ऐसे में भाजपा को रोकने और अपनी पार्टी की स्थिति को मजबूत करने के लिए बसपा प्रमुख अपनी रणनीति को बदलते हुए नए सिरे से चुनावी गठबंधन की संभावनाओं को देख रही हैं। गोरखपुर और फूलपुर में हो रहे लोकसभा उपचुनाव के बारे में बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी के नेताओं से फीडबैक लिया था। दोनों लोकसभा क्षेत्रों के जोनल कोऑर्डिनेटर से भी उनकी बात हुई थी।

बताया जा रहा है कि गोरखपुर और फूलपुर में हो रहे लोकसभा उपचुनाव के बारे में बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी के जिम्मेदार नेताओं से फीडबैक लिया था। दोनों लोकसभा क्षेत्रों के जोनल कोऑर्डिनेटर से भी उनकी बात हुई थी। शनिवार को अचानक बसपा के सपा को समर्थन की चर्चाएं तैरने लगीं, क्योंकि बसपा के कई नेता भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता के पक्ष में थे।

यहां तक कि सपा और बसपा के जिम्मेदार नेताओं की पर्दे के पीछे इस बारे में कई बार बातचीत भी हो चुकी थी। बसपा सुप्रीमो मायावती की सहमति मिलने के बाद स्थानीय स्तर पर जोनल कोऑर्डिनेटर व स्थानीय नेता एक-दो दिन में सपा प्रत्याशियों के समर्थन का एलान कर सकते हैं।

इसके लिए बसपा सुप्रीमो मायावती ने पहले-पहल फूलपुर व गोरखपुर लोकसभा सीटों के उपचुनाव में सपा का समर्थन करने का फैसला किया है। उपचुनाव से दूर रहने वाली बसपा ने इन दोनों सीटों पर भी अपने प्रत्याशी नहीं उतारे हैं जबकि इन सीटों पर उसके ठीक-ठाक वोट माने जाते हैं। इस बारे में सपा व बसपा प्रमुख के बीच बात हो चुकी है और बसपा प्रमुख ने इस संबंध में बैठक कर प्रमुख पदाधिकारियों को अपने फैसले के बारे में बता भी दिया है। बसपा के निचले स्तर तक के पदाधिकारियों से कह दिया गया है कि वह खासतौर से भाजपा को हराने के लिए पार्टी के वोट सपा प्रत्याशी के पक्ष में कराएं। पार्टी पदाधिकारियों से कहा गया है कि सपा प्रत्याशी के साथ वे मंच साझा न करें। सपा प्रत्याशी के पक्ष में बसपा नेता सभाएं भी नहीं करेंगे। पार्टी से इस संबंध में अधिकृत तौर पर तो कुछ नहीं कहा जा रहा है लेकिन सोशल मीडिया पर खूब चर्चा है और पार्टी ने उसका सीधे तौर पर खंडन भी नहीं किया है।

उत्तर प्रदेश में 11 मार्च को होने वाले दो लोकसभा उप-चुनावों से पहले एक बड़ा राजनैतिक उलटफेर होता दिख रहा है। गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में मायावती अपनी धूर विरोधी समाजवादी पार्टी को समर्थन दे सकती है। अब तक इसका कोई औपचारिक ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन कल लखनऊ में बहुजन समाज पार्टी के बड़े नेताओं की पार्टी की मुखिया के घर पर एक बैठक के बाद समाजवादी पार्टी को समर्थन देने पर चर्चा हुई है। इसके बाद माना जा रहा है कि आज मायावती इस उप चुनाव में अखिलेश यादव को समर्थन देने का ऐलान कर सकती हैं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा खाता नहीं खोल पाई थी। विधानसभा चुनावों में उसकी करारी हार हुई थी, जबकि समाजवादी पार्टी की भी दोनों चुनावों में शर्मनाक हार हुई थी।

कांग्रेस के गोरखपुर तथा फूलपुर के उप चुनाव में समाजवादी पार्टी से पहले ही अपने प्रत्याशी घोषित करने के बाद से सपा से इनके गठबंधन की बात खारिज हो गई। इसके बाद प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए समाजवादी पार्टी तथा बहुजन समाज पार्टी अब एक मंच पर होंगे। इससमीकरण को आने वाले लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ एक महागठबंधन को तौर पर देखा जा रहा है।

प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को 28 प्रतिशत और बहुजन समाज पार्टी को 22 प्रतिशत वोट मिले थे। इनको अगर एक कर दें तो वोट का प्रतिशत 50 हो जाता है। ऐसी स्थिति में समाजवादी पार्टी के दोनों प्रत्याशियों को हराना भाजपा के बेहद मुश्किल हो जाएगा। समाजवादी पार्टी को लोकसभा उप चुनाव में समर्थन के बारे में पूछने पर बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर का कहना है कि उन्हें अभी तो इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है।

गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटें योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद खाली हुई हैं। दोनों नेता लोकसभा से इस्तीफा देकर उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य बन चुके हैं।यहां पर 11 मार्च को मतदान होना है, जिसके नतीजे 14 मार्च को आ जाएंगे।

विधान परिषद सदस्य बनने के बाद केशव प्रसाद मौर्य ने फूलपुर के सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था। भाजपा ने वाराणसी के पूर्व महापौर कौशलेंद्र सिंह पटेल को प्रत्याशी बनाया है। सपा ने नागेंद्र प्रताप सिंह पटेल को चुनाव मैदान में उतारा है, तो कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता जेएन मिश्र के पुत्र मनीष मिश्र पर दांव लगाया है।

योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे के बाद खाली हुई गोरखपुर लोकसभा सीट पर होने जा रहे उपचुनाव के लिए भाजपा ने क्षेत्रीय अध्यक्ष उपेंद्र दत्त शुक्ला को प्रत्याशी घोषित किया है।  उपेंद्र दत्त शुक्ला की संगठन और कार्यकर्ताओं में अच्छी पकड़ है। पूर्वांचल में उनकी पहचान ब्राह्मण चेहरे के रूप में होती हैं। सपा ने निषाद पार्टी और डॉ. अयूब की पीस पार्टी के साथ उपचुनाव में गठबंधन किया है। अखिलेश ने गोरखपुर से निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे इंजीनियर प्रवीण कुमार निषाद को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने डॉ. सुरहिता करीम को अपना प्रत्याशी घोषित किया है।

हालांकि बसपा के जिम्मेदार नेताओं ने ऐसे किसी आधिकारिक फैसले से इन्कार किया है। उनका कहना है कि हो सकता है मायावती ने दोनों लोकसभा क्षेत्रों के जोनल कोऑर्डिनेटर को सीधे निर्देशित किया हो।

 

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Web Title :BSP can support SP in Phulpur Gorakhpur Loksabha ByElections
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