नेता प्रतिपक्ष रहे स्वामी प्रसाद मौर्या और पूर्व बसपा महासचिव आरके चौधरी की बगावत के बाद बसपा सुप्रीमों मायावती सर्तक हो गयी हैं। मौर्या और चौधरी के बसपा छोड़ कर जाने के बाद बसपा का किला ढहने की कगार पर आ गया था ऐसे में पार्टी ने अब अपनी रणनीति में बदलाव कर दिया है। यूपी में दलितों की राजधानी माने जाने वाले आगरा जिलें में अब मायावती ने नया सियासी दांव खेला है।

  • पिछले दिनों कई बड़े नेताओं के पार्टी छोड़ने के बाद अब पार्टी हाईकमान ने रणनीति में बदलाव करते हुए तमाम उन चेहरों को दोबारा से बसपा में शामिल करने की कवायद शुरू कर दी है जो कभी बसपा का हिस्सा थें।
  • राजनीतिक हवा बदलने के बाद अब मायावती ने आगरा में बसपा की साख बरकरार रखने के लिए पांच पूर्व विधायकों पर भरोसा जताया है।
  • बता दें कि बसपा ने हाल ही में नारायन सिंह सुमन, वीरू सुमन, धर्मप्रकाश भारती, चौधरी बशीर और जुल्फिकार अहमद भुट्टो को पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते बाहर का रास्ता दिखाया था।
  • पार्टी सूत्रों की माने तो बसपा सुप्रीमों बदले परिदृश्य में अब इन नेताओं को दोबारा से पार्टी में शामिल करने की तैयारी कर रहीं है।
  • बताया जा रहा है कि अगर सब कुछ तय रणनीति के मुताबिक हुआ तो जुलाई के अंत तक ये नेता दोबारा से हाथ में बसपा का झण्डा ले लेंगे।
  • माना जा रहा है कि स्वामी प्रसाद मौर्या और आरके चौधरी के जाने के बाद बसपा के जातीय समीकरण गड़बड़ा गये थे।
  • यहां से जो रिपोर्ट भेजी गई, उसे देखकर मायावती कि चिंताएं बढ़ गई थी, जिसके बाद पार्टी ने अपनी ताकत को बरकरार रखने के लिए मंथन शुरू कर दिया।
  • इसके साथ पार्टी के विभिन्न फोरमों से मांगे गए सुझाव में पुराने लोगों को वापस लाने की चर्चा उठी, जिसके बाद मायावती ने इन सुझावों पर अपनी सहमति दे दी।
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