Uttar Pradesh News, UP News ,Hindi News Portal ,यूपी की ताजा खबरें
Uttar Pradesh

स्वाति के संघर्ष को अपना राजनीतिक अखाड़ा बनाने की कोशिश में बीजेपी

swati singh

यूपी बीजेपी इकाई के उपाध्यक्ष पद पर रहते हुए दयाशंकर सिंह ने मायावती के खिलाफ अपमानजनक शब्द कहे और इसका खामियाजा उन्हें 24 घंटे के अंदर भुगतना पड़ा जब बसपा सुप्रीमो मायावती के राज्यसभा में इस मुद्दे को उठाने के बाद उन्हें पद से हटाया गया और 6 साल के लिए पार्टी से बर्खास्त भी किया गया।

लेकिन ये बात यहीं खत्म नही हुई और राज्य के विभिन्न हिस्सों में बसपा के समर्थकों ने बीजेपी के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया और दयाशंकर सिंह की गिरफ्तारी की मांग की। प्रदर्शन का असर सबसे ज्यादा लखनऊ में दिखाई दिया जब हजारों की संख्या में राजधानी के विभिन्न इलाकों में दयाशंकर सिंह का पुतला फूँकने के अलावा बैनर पर ‘कुत्ते दयाशंकर को गिरफ्तार करो, कुत्ते को फांसी दो‘ जैसे शब्दों का प्रयोग भी किया गया। ये शायद क्रिया के बदले प्रतिक्रिया थी, जिसमें सतीश मिश्रा और नसीमुद्दीन सिद्दीकी सहित तमाम शीर्ष नेता मौजूद थे।

हैरानी की बात ये थी कि जिस पार्टी में एक पत्ता भी मायावती के बिना नही हिलता वहां ऐसा प्रदर्शन किसके इशारे पर। खैर, इसका उत्तर मायावती ने खुद ही दे दिया जब उन्होंने कहा कि दयाशंकर के परिवार को उस टिप्पणी पर चुप रहने की सजा मिली है और उन्हें भी औरत के अपमान की पीड़ा को झेलना होगा। ये एक राज्य की पूर्व महिला मुख्यमंत्री के शब्द थे जो अपने खिलाफ इस्तेमाल हुए शब्दों पर आहत थीं।

लेकिन उस भीड़ से एक और आवाज आ रही थी और वो आवाज ये चीख-चीखकर ये कह रही थी कि मुद्दा चाहे राजनीति से जुड़ा हो और एक औरत के प्रति अपमानजनक शब्दों के प्रयोग पर विरोध का हो, यहाँ भी वही होगा और औरत की अस्मिता को तार-तार करने में ये भीड़ भी किसी दयाशंकर से कम नही।

दयाशंकर सिंह की बेटी को पेश करो‘ जैसे नारे भीड़ में गूंज रहे थे और ये आवाज ना तो मायावती तक पहुंची और ना ही प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक जिन्होंने मायावती के खिलाफ अपमानजनक शब्द बोलने वाले दयाशंकर सिंह को 36 घंटे में गिरफ्तार करने का फरमान दिया था।

ये सब सुनकर दयाशंकर सिंह की पत्नी अपनी बेटी की खातिर आगे आयीं और उन्होंने कहा कि’ मायावती बता दें कि उनकी बेटी को कहाँ और किसके सामने पेश करना है?’ स्वाति सिंह ने हजरत गंज में अपनी माँ के साथ जाकर मायावती और नसीमुद्दीन सिद्दीकी सहित अन्य बसपा समर्थकों पर मुक़दमा भी दर्ज कराया और अपने परिवार की सुरक्षा की गारंटी भी मांगी। आईजी जोन सतीश गणेश स्वाति सिंह और उनके परिवार को आश्वासन दिया है कि उन्हें जिस प्रकार की सुरक्षा चाहिए, प्रदान की जाएगी।

इस पुरे प्रकरण पर 36 घंटे तक चुप्पी साधे रहने वाली भाजपा ने अंतत: स्वाति की लड़ाई में साथ देने की बात की लेकिन सवाल ये है कि आखिर बीजेपी को 36 घंटे क्यों लग गए एक 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली लड़की के सम्मान में, उसके हक और उसकी अस्मिता पर आंच ना आये, इसको सुनिश्चित करने के प्रयास में उसके साथ खड़ा होने के लिए।

पुरे प्रकरण में बीजेपी का आलाकमान, दयाशंकर को बर्खास्त करने के बाद क्या ये नही देख रहा था कि दयाशंकर की पत्नी और लड़की की हालत क्या होगी। क्या बीजेपी इस मामले पर अपनी हार मान चुकी थी। प्रदेश का कोई शीर्ष नेता सिर्फ मुख्यमंत्री के पद की दावेदारी जताने के लिए खुद को जमीन से जुड़ा बताने के लिए तैयार रहता है या फिर एक औरत की अस्मिता और उसके सम्मान की लड़ाई सिर्फ उस औरत की लड़ाई है।

आज पुरे देश में स्वाति सिंह के प्रति सहानुभूति इसलिए नही है कि वो बीजेपी नेता कि पत्नी है, बल्कि लोगों ने स्वाति के इस साहसिक कदम की सराहना इसलिए की क्योंकि स्वाति सिंह ने एक माँ होने का मतलब बताया है और साथ ही स्वाति सिंह ने अकेले दम पर अपनी बेटी की हालत देखते हुए और उसपर बुरी नजर रखने वाली बसपा समर्थक भीड़ के खिलाफ आगे आकर थाने में मुकदमा दर्ज कराया।

बीजेपी इस मुद्दे पर चुप रही, इसकी एक खास वजह ये रही कि प्रदर्शन के अगले दिन पीएम का गोरखपुर दौरा था और वो दौरा असफल ना हो जाये और उस दौरे पर सवाल ना उठें इसलिए बीजेपी प्रदेश इकाई के नेताओं ने स्वाति सिंह का साथ नही दिया। प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या ने मायावती से तो माफी मांग ली, लेकिन वो भी स्वाति सिंह के साथ सहानुभूति नहीं दिखा पाये और ना ही स्वाति सिंह की बेटी के लिए बसपा समर्थकों की भीड़ द्वारा लगाये शर्मनाक नारों के खिलाफ आगे आने की हिम्मत जुटा सके। बीजेपी के प्रदेश इकाई से लेकर केंद्र तक किसी ने स्वाति सिंह का तब साथ नही दिया जब इनको जरुरत थी।

ऐसे में ये संकेत काफी है कि बीजेपी अपने शीर्ष नेतृत्व के लिए रैलियों का आयोजन कराने और उसे सफल बनाने के आगे किसी अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों को आसानी से नजरअंदाज करने में भी माहिर है। जबतक बीजेपी को अपना राजनीतिक मकसद सिद्ध होता हुआ नहीं दिखता तब तक बीजेपी भी किसी माँ, किसी बेटी, किसी पत्नी की लड़ाई को अपनी लड़ाई नही मानती।

बीजेपी स्वाति सिंह की लड़ाई को अपनी लड़ाई बनाने की कोशिश में जुटी हुई है, ये महज एक राजनीतिक दाव है जो बीजेपी स्वाति सिंह के कन्धों पर बंदूक रखकर गोली चलाने की तैयारी कर रही है।

स्वाति सिंह ने बसपा सुप्रीमो के खिलाफ अकेले ही मोर्चा खोल दिया है और मुकदमा दर्ज कराकर क़ानूनी रूप से मदद की अपील की है। जाहिर है, मुकदमा दर्ज होने के बाद क़ानूनी प्रक्रिया चलेगी लेकिन स्वाति सिंह की इस लड़ाई में कहीं न कहीं बीजेपी अपना मकसद साधने की कोशिश कर रही है।

लक्ष्मीकांत बाजपेयी जैसे शीर्ष और अनुभवी नेता की अनुपस्थिति भी बीजेपी के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है और पार्टी में कोई ऐसा चेहरा नही दिखता है जो जनता की समस्या और जनता की लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर उसके साथ चल सके।

Related posts

कानपुर-16 अधिकारी आये डीएम के रडार पर

kumar Rahul
7 years ago

अमेठी में भी दिख रहा आदर्श आचार संहिता का असर!

Sudhir Kumar
7 years ago

इन राज्यों में मिला मीरा कुमार को सबसे अधिक वोट!

Shashank
7 years ago
Exit mobile version