उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में नेशनल हाईवे पर हुए गैंगरेप के मामले में यूपी डीजीपी जावीद अहमद और जिले की पुलिस के अलग-अलग बयानों के बाद मामले में पुलिस द्वारा की गई कारवाई पर सवालिया निशान लग गए है। अपने अलग-अलग बयानों के कारण मामले में की जा रही कारवाई सवालों के कटघरे में है। कहा जा रहा है कि इस मामले में पुलिस अपना गिरेबान बचाने में जुटी हुई है। दरअसल, पुलिस अधिकारियों ने जल्दबाजी में जिन बदमाशों के नामों का खुलासा किया है, वो बदमाश पुलिस के गिरफ्त में है ही नही।

  • मीडिया से बात करते हुए डीजीपी ने जिन बदमाशों के नाम लिये, जिले की पुलिस ने उनकी जगह दूसरे बदमाशों को अरेस्ट दिखाया है।
  • डीजीपी ने प्रेसवार्ता में जानकारी दी थी कि मामले में 15 बदमास हिरासत में लिये गये हैं।
  • जिन बदमाशों के नाम पुलिस महानिदेशक ने बताये थे वे बुलंदशहर के सुतारी गाँव का रईस, पंजाब के भटिंडा का नरेश ठाकुर  और हरियाणा के फरीदाबाद का बबलू था।
  • लेकिन जिले की पुलिस ने जिन लोगों को गिरफ्तार दिखाया है वह तीनों बुलंदशहर और आसपास के रहने वाले है।
  • पुलिस के रिकॉर्ड में अब गिरफ्तार बदमाशों में बुलंदशहर का रईस, हापुड़ का शाहजेब और नोयडा का जबरसिंह शामिल है।
  • बड़ा सवाल यह है कि अब पुलिस जिन बदमाशों को गिरफ्तार करने की बात कह रही है, उनका तो डीजीपी ने अपनी प्रेसवार्ता में जिक्र तक नहीं किया था।
  • डीजीपी ने प्रेसवार्ता में जिस फरीदाबाद के बबलू और भटिंडा के नरेश ठाकुर की बात की थी, अब पुलिस रिकार्ड में उनके नाम कहां गायब हो गए।

झूठा साबित हुआ डीजीपी का बयानः

  • इससे पहले पिछले दो दिनों से बुलंदशहर के एसएसपी वैभव कृष्ण बदमाशों के घुमंतू या बाबरिया गैंग के होने का दावा कर रहे थे।
  • एसएसपी ने बताया था कि वारदात को अंजाम देने वाले अपराधी धुमंतू जनजाति के है।
  • आरोप है कि खुलासे में फर्जीवाड़ा करते हुए बुलंदशहर के सस्पैंडेड एसएसपी ने डीजीपी को भी गुमराह किया।
  • एसएसपी ने डीजीपी और गृहसचिव को बताया कि हिरासत में लिये गये तीन बदमाशों की पीड़ित परिवार ने शिनाख्त की है।
  • हैरान करने वाली बात ये भी है कि घटना के पीछे बाबरिया गैंग को बताने वाली पुलिस ने जो बदमाश गिरफ्तार किये है, उनका कोई ट्रैक रिकार्ड नही हैं।
  • फिलहाल तो अब डीजीपी का बयान झूठा साबित हो चुका है। क्योंकि अब पुलिस ने दो बदमाश बदल दिये है।
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