अमेरिका में पिछले सात महीने से नजरबंद भारतीय परमाणु वैज्ञानिक डा. तरुण कुमार भारद्वाज को अमेरिका की हयूस्टन फेडरल कोर्ट ने राहत दी है। डा. तरुण कुमार द्वारा डाली गई अर्जी की सुनवाई करते हुए हयूस्टन फेडरल कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश डेविड हिरनर द्वारा दिए गए आदेशों में कहा गया कि टेक्सास ए एंड एम यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी पुलिस ने डा. तरुण के अधिकारों का हनन किया है।

डा. तरुण के साथ हुआ भेदभाव-

  • यूस्टन फेडरल कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधिश ने कहा कि डा. तरुण के साथ नस्ल, रंग, लिंग और भारतीय नागरिक होने के आधार पर भेदभाव किया गया।
  • आगे कहा कि टैक्सास ए एंड एम यूनिवर्सिटी व यूनिवर्सिटी पुलिस ने डा. तरुण के अधिकारों का हनन किया है।
  • डा. तरुण द्वारा टैक्सास ए एंड एम यूनिवर्सिटी पर दो अरब 34 करोड़ 23 लाख 75 हजार रुपये का केस किया है।
  • इसका ट्रायल दिसंबर 2017 में शुरू होगा।
  • कोर्ट ने दुर्व्यवहार से जुड़ी जो भी सामग्री जिस भी मीडिया स्त्रोत पर है उसे तुरंत हटाने का आदेश दिया है।
  • ताकि वैज्ञानिका की छवि खराब न हो।

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टैक्सास यूनिवर्सिटी में परमाणु वैज्ञानिक हैं तरुण :

  • तरुण 2010 से अमेरिका की टैक्सास यूनिवर्सिटी में परमाणु वैज्ञानिक हैं।
  • वह मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के बुलंद शहर के शिकारपुर के रहने वाले हैं।
  • तरुण की मां और भाई के मुताबिक उन्हें पेंटागन के एक गोपनीय प्रोजेक्ट का प्रमुख बनाया है।
  • परिजन ने कहा कि नस्लवादी मानसिकता और व्यावसायिक कटुभावना रखने वाले कुछ सहयोगियों ने उसे परेशान करना शुरु कर दिया।
  • माता-पिता ने कहा कि पिछले 6 महीने नजरबंद कर पागल बनाने के लिए गहरी साजिश चल रही है।

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विदेश राज्यमंत्री ने दिया डा. तरुण को वापस लाने का आश्वासन-

  • अमेरिका में सात माह से बंधक परमाणु वैज्ञानिक डा. तरुण भारद्वाज के माता-पिता ने विदेश राज्यमंत्री जरनल वीके सिंह से अपने बेटे को भारत लौटाने के लिये गुहार लगाई है।
  • विदेश राज्यमंत्री ने परिजनों को आश्वासन दिया है।
  • उन्होंने कहा कि अगर वैज्ञानिक स्वदेश आना चाहता है तो वह एक दिन उसे देश में लेकर आएंगे।

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