राजधानी लखनऊ स्थित छावनी में सबसे सुरक्षित कहे जाने वाले हजरत महल मार्ग पर बिना अनुमति के प्रमुख सचिव परिवहन आराधना शुक्ला ने अपने बंगले में निर्माण शुरू कर दिया। छत की चहारदीवारी (मुमटी) को ऊंचा करने के साथ करीब 100 वर्ग फीट का निर्माण किया जा रहा था। नियम विपरीत हो रहे निर्माण को छावनी परिषद प्रशासन ने रुकवा दिया है। हालांकि परिषद प्रशासन ने आम लोगों की तरह निर्माण को सील नहीं किया है और न ही उसे गिराने की नोटिस जारी की है।

परिषद प्रशासन के मुताबिक अब अनुमति लेने पर ही निर्माण शुरू हो सकेगा। इस संबंध में छावनी परिषद लखनऊ के मुख्य अधिशासी अधिकारी अमित मिश्र ने बताया कि हजरतमहल मार्ग पर आराधना शुक्ला के बंगले में कुछ निर्माण किया जा रहा था। इसकी अनुमति नहीं ली गई थी। मौके पर जाकर निर्माण रुकवा दिया गया है, जब वह अनुमति लेंगी तब ही निर्माण शुरू करवा सकेंगी।

मध्य कमान मुख्यालय से चंद कदमों की दूरी पर 12 हजरत महल रोड बंगला है। सर्वे नंबर 402 के तहत यह बंगला 1.53 एकड़ भूमि में बना हुआ है। इस बंगले का नामांतरण प्रमुख सचिव आराधना शुक्ला को करने की प्रक्रिया रक्षा संपदा मुख्यालय में चल रही है। बंगले की चहारदीवारी को ऊंचा करने के साथ 10 गुणो 10 का निर्माण भी शुरू किया गया है। साथ ही सीढ़ियों को कवर करने के लिए भी निर्माण हो रहा है। बिना अनुमति के हो रहे अवैध निर्माण की भनक छावनी परिषद प्रशासन को लगी। परिषद प्रशासन की टीम ने मौके पर जाकर काम रुकवा दिया। हालांकि प्रशासन ने मामला हाई प्रोफाइल होने के कारण सीलिंग करने की कार्रवाई नहीं की

छावनी में रहने वाले प्रभावशाली लोगों पहले भी तोड़े नियम

इससे पहले भी छावनी में रहने वाले प्रभावशाली लोगों ने नियम तोड़े हैं। पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी की पत्नी हुस्ना सिद्दीकी के नाम पर थिमैया मार्ग पर स्थित बंगले में अवैध निर्माण किया गया। मामला विचाराधीन है। एक दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री के बंगले में भी ट्रांसफार्मर कक्ष के नाम पर अवैध निर्माण हुआ। एक पूर्व मुख्यमंत्री ने भी अपने बंगले में बिना किसी अनुमति के अवैध रूप से निर्माण कराया। एक पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक ने भी अपने बंगले की चहारदीवारी मानकों से अधिक ऊंची बना ली। जबकि उनके बगल वाले बंगले में ऊंचाई पर बन रही चहारदीवारी को ढहाया गया।

बता दें कि भवन निर्माण नियमावली के तहत बंगले में किसी हिस्से की मरम्मत या फिर नए निर्माण के लिए छावनी परिषद प्रशासन से लिखित अनुमति लेनी होती है। बिना अनुमति निर्माण कार्य करने पर छावनी अधिनियम की धारा 239 के तहत काम रुकवाने का नोटिस दिया जाता है। काम न रोकने पर धारा 248 के तहत 30 दिन में निर्माण को ध्वस्त करने का नोटिस दिया जाता है। इसके बाद अंतिम नोटिस देकर निर्माण को ढहाया जाता है।

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