करगिल युद्ध में खालूबार पोस्ट पर फतह करते हुए शहीद हुए कैप्टन मनोज पाण्डेय (captain manoj pandey) की शहादत को आज पूरा देश याद कर रहा है. बम और गोलियों की बारिश के बीच बेहद विषम परिस्थितियों में भी कैप्टन मनोज पांडेय ने अपने पराक्रम से जो लड़ाई लड़ी उसे देश कभी नहीं भूल सकता है.

कारगिल युद्ध के दौरान हुए शहीद:

  • कैप्टन मनोज पांडेय के वो शब्द आज भी हर भारतीय के दिलो-दिमाग में बसे हुए हैं.
  • उन्होंने कहा था कि मेरे फर्ज की राह में मौत भी रोड़ा बनी तो उसे मात दे दूंगा.
  • कैप्टन मनोज पाण्डेय ने  सैनिक स्कूल में शिक्षा प्राप्त की थी.
  • इस स्कूल से ही मनोज पाण्डेय ने सेना में शामिल होने की तैयारी कर ली थी.
  • कारगिल युद्ध के दौरान 3 जुलाई 1999 को कैप्टन मनोज पांडेय वीरगति को प्राप्त हुए थे.

3 जुलाई 1999 को हुए शहीद:

  • मनोज पांडेय जिस 11 गोरखा राइफल्स से थे वह लखनऊ में ही स्थित है.
  • हर साल 11 गोरखा राइफल्स रेजीमेंट सेंटर के अधिकारी अपने जांबाज की पुण्यतिथि पर शहादत दिवस मनाते हैं.
  • उनकी याद में ही लखनऊ छावनी में शहीद कैप्टन मनोज पांडेय चौराहा और एक तरणताल बनाया गया है.
  • इसी यूनिट में रहें पूर्व सैनिक संघ के अध्यक्ष मेजर आशीष चतुर्वेदी बताते हैं कि शहीद कैप्टन मनोज पाण्डेय को जवान अपना आदर्श मानते हैं.
  • सीतापुर जिले में 25 जून 1975 को जन्में मनोज पांजेय की शिक्षा लखनऊ स्थित सैनिक स्कूल में भी हुई थी.
  • मनोज पांडेय ने पुणे स्थित खड़कवासला राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में ट्रेनिंग प्राप्त की थी.
  • कारगिल युद्ध में असाधारण वीरता के लिए मरणोपरांत सर्वोच्च वीरता पदक परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.
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