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सीसीएस विश्वविद्यालय ने छात्रों के अंडे खाने पर लगाया प्रतिबंध

CCS University prohibits students from eating eggs

CCS University prohibits students from eating eggs

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के बाद मेरठ की चौधरी चरणसिंह यूनिवर्सिटी अब छात्रों को सात्विक और संस्कारी बनाने पर आमादा है। विश्वविद्यालय हॉस्टल के मेस में अंडा पकाये जाने का हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ तो मेस ठेकेदार पर जुर्माना लगाया गया ।हॉस्टल के मेस में अंडा या नॉनवेज पकाने पर रोक लगा दी गयी है। विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों को संस्कारी बनाने के लिए अब खान-पान भी तय कर रहा है।

अंडा पकाये जाने का यह वीडियो मेरठ के सीसीएस विश्वविद्यालय के छोटूराम इंजीनियरिंग कालेज का है। इस वीडियो के सामने आने के बाद हॉस्टल वार्डन ने मेस ठेकेदार को कालेज के छात्रों को एक दिन का खाना मुफ्त में खिलाने का हुक्म सुनाया। साथ ही ताकीद की कि आगे हॉस्टल में अंडा या नॉनवेज आया तो मुफ्त भोजन के साथ खानपान का ठेका निरस्त हो जायेगा।

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वेस्ट यूपी के नौजवानों की भारतीय सेना में सेवा से पूरा देश वाकिफ है।

यूनीवर्सिटी में रहकर पढ़ने वाले छात्रों को शारीरिक मजबूती के लिए प्रोटीन की जरूरत होती है। जिसे अंडा पूरा करता है।

लेकिन अब विश्वविद्यालय में अंडा ही प्रतिबंधित कर दिया गया है। छात्र जो खाना खा रहे है वह खाना कैसा है।

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खानपान बदलने से संस्कारी होगे छात्र सीसीएस विश्वविद्यालय में अंडा पकाने पर जुर्माना अंडा पकाया तो फोकट में बँटेगा मेस का लंगर पहले ड्रेस कोड….और अब खानपान पर प्रतिबंध जिसे खाना खाना है…

उसकी कोई सुन नही रहा और जिसे खाना नही खाना है वह तय कर रहा है कि हॉस्टलर क्या खायेगे। इंजीनियरिंग कालेज में अंडा पकाये जाने का वीडियो वायरल होने के बाद विश्वविद्यालय के सभी 8 हॉस्टल्स को चेतावनी दे दी गयी।

इंजीनियरिंग कालेज के वार्डन की सजा का तरीका भी विश्वविद्यालय प्रशासन को पसंद आ गया है। अबकी बार अंडा पकाया गया तो ऐसी ही सजा का प्रावधान अब पूरे विश्वविद्यालय में लागू कर दिया गया है।

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अपनी पसंद का खाने, पहनने, बोलने की आजादी देश का संविधान हर शख्स को देता है।

मगर संस्कार बांटने के नाम पर विश्वविद्यालय में ऐसा तुगलकी फरमान छात्रों को समझ में नही आ रहा है।

महज अंडे को प्रतिबंधित करके विश्वविद्यालय ऐसा कौन सा संस्कार बांट देगा…

जो न मिले तो जीवन अधूरा रह जायेगा। बहरहाल, विश्वविद्यालय की पढ़ाई-लिखाई का स्तर तो सभी जानते है…अपनी कमी दबी रहे इसलिए अंडा-पुराण चालू है।

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