उत्तर प्रदेश के कासगंज जिला में एक साल पहले 26 जनवरी 2018 को तिरंगा यात्रा वाले दिन खूब खून बहा था। इस हिंसा में चन्दन गुप्ता की मौत हो गई थी।चंदन की मौत के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने 20 लाख रुपये का मुआवजा दिया था। चंदन की मौत को एक साल हो गया है। चंदन की याद में शहर में बड़े बड़े होर्डिंग लगाए हैं। वहीं चन्दन के घर पर 50 फुट से ज्यादा ऊंचाई का तिरंगा एक घर में लहराया गया है, जबकि चंदन की तस्वीर के सामने पुष्पांजलि अर्पित की गई है। इस मौके पर पुलिस लाइन में भी ध्वजारोहण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस कार्यक्रम में प्रभारी मंत्री सुरेश पासी पहुंचे थे। उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि चंदन की याद में कासगंज में ‘चंदन चौक’ का निर्माण कराया जाएगा। गणतंत्र दिवस पर पुलिस लाइन में जिले के प्रभारी मंत्री सुरेश पासी ने चन्दन के पिता को मंच पर सम्मानित किया। चंदन चौक बनाने की घोषणा करते हुए प्रशासन को जिले के किसी पार्क का चयन करने के निर्देश दिए। वहीं एक परिजन को नौकरी के वायदे पर कहा सरकार से बात करेंगे। बता दें कि चंदन का परिवार एक वर्ष बाद भी वायदे पूरे न होने से आक्रोशित था। परिवार ने 26 जनवरी को भी मांग पूरी न होने पर प्रभु पार्क पर धरने की चेतावनी दी थी। हालांकि चंदन का परिवार तिरंगा यात्रा निकालने की जिद पर अड़ा था। भाई विवेक ने लखनऊ तक दौड़ लगाई। लेकिन तिरंगा यात्रा की अनुमति नहीं मिली।

कासगंज में एक हॉस्पिटल में बतौर कंपाउंडर काम करने वाले सुशील और संगीता गुप्ता के तीन बच्चे थे, जिनमें विवेक सबसे बड़ा बेटा है, कीर्ति दूसरे नंबर की हैं और चंदन सबसे छोटा बेटा था। बातचीत में कीर्ति ने बताया, ‘भाई चंदन की मौत के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने 20 लाख रुपये का मुआवजा दिया था। मुझे पैसा नहीं बल्कि न्याय चाहिए था, मैं चेक फाड़ने वाली थी लेकिन तभी किसी ने मेरे हाथ से चेक ले ली थी।’ परिवारवालों का कहना है, ‘मुआवजे का चेक आज भी रखा है, वह वापस ले लें, बस एक चंदन चौक बनवा दें, जिसके लिए हम यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ समेत हर बड़े नेता के सामने गुहार लगा चुके हैं।’

कीर्ति बताती हैं, ‘भाई को दुनिया से गए हुए एक साल हो गया है। इस दौरान कई बार पापा ने अचानक कहा कि अरे वह सामान चंदन को लाने को बोल देना। वह अभी भी कई बार जब घर आते हैं तो यही सोचते हैं कि चंदन हमारे साथ है।’ चंदन के बड़े भाई विवेक गुप्ता ने बताया, ’25 जनवरी यानी शुक्रवार शाम घर में कुछ पुलिसकर्मी आए थे। वह कह रहे थे कि 26 जनवरी को पुलिस लाइन में होने वाली परेड में शामिल होना है। सुबह 9 बजे तक हमें वहां पहुंच जाना है। हम उनसे यही मांग करेंगे कि बस एक चंदन चौक बनवा दें। हमारी यह मांग आखिरी वक्त तक सरकार और प्रशासन से रहेगी।’

चंदन की बहन कीर्ति आज भी उस घटना का जिक्र करते हुए बताती हैं, ‘भाई (चंदन) 25 जनवरी 2018 को एक दोस्त की बाइक लेकर घर आया था। उसमें झंडा वगैरह लगा दिया था। अगले दिन सुबह (26 जनवरी 2018) जल्दी उठकर घर से चला गया था। प्रभु पार्क में झंडारोहण हुआ। इसके बाद वे बाइक से तिरंगा यात्रा के लिए निकले, जिसके बाद चंदन वापस घर नहीं लौटा।’ कीर्ति ने कहा, ‘चंदन का 23 नवंबर को जन्मदिन था। मां दिनभर रोती रहीं। वह बहुत अच्छा था। हमेशा लोगों को हंसाने में लगा रहता था।’ हिंसा में जान गंवाने वाले चंदन के भाई विवेक का कहना है, ‘हमने 26 जनवरी में तिरंगा यात्रा के लिए अनुमति मांगी थी लेकिन हमें इजाजत नहीं दी गई। उसका कारण विशाल ठाकुर की पोस्ट को बताया गया, जो उसने रिवॉल्वर के साथ सोशल मीडिया पर डाली थी। सुरक्षा व्यवस्था का इंतजाम करना प्रशासन की जिम्मेदारी है। यदि वह व्यवस्था करते हुए इजाजत देते तो तारीफ होती।’

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