देश में वामपंथ और दक्षिणपंथ के संघर्ष का सबसे बडा केंद्र बन गया है। केरल जो सर्वाधिक साक्षर आबादी वाला राज्य है। जहां की 94 फीसदी जनता साक्षर है। वहां विचारधाराओं का संघर्ष कब खूनी राजनीति में तब्दील हो गया। यह देश को पता ही नहीं चला। देश को इसका एहसास तब हुआ जब वहां ताबड़तोड़ हत्याएं शुरु हो गईं। केरल एक ऐसा राज्य है जहां मोदी का मैजिक फेल हो गया। दक्षिण भारत में तेजी से पैर पसार रही बीजेपी केरल में वामपंथ का किला नहीं ढहा सकी। (chief minister yogi adityanath) 

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पांच दशक पुराना है संघ और वामपंथियों का खूनी संघर्ष

  • करीब करीब पांच दशक से केरल में वामपंथियो और संघ के कार्यकर्ताओं के बीच खूनी संघर्ष जारी है।
  • इस टकराव में सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं।
  • अभी हाल ही में 1 अगस्त को संघ के एक कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई।
  • जिसके बाद केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को हस्तक्षेप करना पडा था।
  • चाहे वामपंथी हो या संघ के नेता दोनों का आरोप है कि अब तक इस संघर्ष में उनके 250 से ज्यादा सदस्यों की हत्याएं हो चुकी हैं। (chief minister yogi adityanath)

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क्या कहते हैं आकंडे

  • पुलिस रिकार्ड के मुताबिक, केरल में 1983 से लेकर 2009 तक करीब 91 राजनैतिक हत्याएं हो चुकी हैं।
  • इसमें 31 आरएसएस और बीजेपी के, 33 मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के औऱ 14 कांग्रेस के नेताओं की हत्याएं हुई हैं।
  • इसके बाद के रिकार्ड पुलिस दस्तावेजों में मौजूद नहीं हैं या यूं कहें कि राजनैतिक हत्याओं को सामान्य हत्याओं के तौर पर दर्ज किया गया।

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योगी क्यों हो गये जरुरी

  • दरअसल वामपंथियों से संघर्ष में संघ और बीजेपी के नेताओं को हर बार मात खानी पडी है।
  • कट्टर हिंदुत्व की लहर का यहां कोई असर देखने को नहीं मिला।
  • यही वजह है कि 2016 के विधानसभा चुनाव में यहां 140 सीट में से भाजपा का सिर्फ 1 विधायक है।
  • 19 विधायक CP1, 58 विधायक CPIM, 22 कांग्रेस और 2 विधायक NCP के हैं।
  • यानि कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक बीजेपी का परचम लहराने की कोशिश मे केरल सबसे बडी बाधा बन रहा है।
  • बीजेपी ने इन सबके बीच हिंदुत्व को जगाने और अपनी पैठ बनाने के लिये जनरक्षा पदयात्रा की शुरुआत की।
  • गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने इसकी शुरुआत की।
  • लेकिन अचानक यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिये निमंत्रण भेज दिया गया। (chief minister yogi adityanath)

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यह है रणनीति

  • दरअसल संघ यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को राष्ट्रीय स्तर पर उभारने की कोशिश कर रहा है।
  • उसकी सबसे बड़ी वजह है उनका पहनावा। किसी भी व्यक्ति की पोशाक उसके व्यक्तित्व की पहली पहचान होती है।
  • उनकी पोशाक से प्रखर हिदुत्व का संदेश जाता है।
  • इसका फायदा उठाने के लिये बीजेपी योगी को इससे पहले हरियाणा, मध्य प्रदेश, बिहार और बंगाल भेज चुकी है।
  • उड़ीसा में होने वाले चुनाव मे भी उनके कई कार्यक्रम लगने वाले हैं।
  • उत्तर भारत योगी को कट्टर हिंदूवादी छवि के लिये जानता है।
  • लेकिन दक्षिण भारत में भी यही प्रयोग आजमाया जायेगा जिसकी शरुआत केरल से की जा रही है।
  • यही वजह है कि केरल में पदयात्रा के लिये बीजेपी ने अपने 16 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को नकार कर योगी आदित्यनाथ को बुलाया।
  • जिससे कट्टर हिंदुत्व का संदेश दिया जा सके।
  • गुजरे वक्त के साथ बीजेपी में विनय कटियार और उमा भारती जैसे कट्टरवादी सोच के नेताओ की प्रासंगिकता कम हो गई है।
  • ऐसे में योगी संघ औऱ बीजेपी के नये पोस्टर ब्वाय बन कर उभर रहे हैं जो युवा होने के साथ बेहद आक्रामक और कट्टर हिदुत्व की सोच रखते हैं। (chief minister yogi adityanath)

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वामपंथियों और विपक्ष में बेचैनी, बीजेपी में उत्साह

  • आदित्यनाथ के केरल पहुंचने से जहां भाजपा के कार्यकर्ता उत्साह से लबरेज हैं, वहीं वामदल लगभग बौखला गए हैं।
  • इससे आदित्यनाथ के इस पद यात्रा की अहमियत समझी जा सकती है।
  • आदित्यनाथ के केरल पहुंचने पर वामदलों की ओर से लगातार आ रहे बयान और टिप्पणियां ये बता रही हैं, कि इस खेमे में कहीं ना कहीं हलचल जरूर है।

केरल में गरजे योगी

  • यह पदयात्रा केरल, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा की कम्यूनिस्ट सरकार को आईना दिखाने के लिए है और ऐसी राजनीतिक हत्याएं रुकनी चाहिए।
  • योगी ने आगे कहा लोकतंत्र में हिंसा की कोई जगह नहीं है फिर भी राजनीति से प्रेरित हत्याएं हो रही हैं।
  • योगी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सीएम के जिले में बीस कार्यकर्ता मारे गए, इससे साफ है कि हत्यारों को सुरक्षा दी जा रही है।

केरल के सीएम ने योगी पर कसा तंज

  • योगी के दौरे से वामपंथी खेमे मे बेचैनी छाई हुई।
  • कल से योगी पर हमले किये जा रहे हैं।
  • कहा जा रहा है कि केरल मे दंगे की राजनीति नहीं होने देंगे।
  • सीएम पी विजयन ने योगी आदित्यनाथ को केरल के अस्पतालों का दौरा करने की नसीहत तक दे डाली।
  • उन्होंने कहा कि योगी देखे कि केरल मे अस्पताल कैसे काम करते है। (chief minister yogi adityanath)

ये हैं कुछ सवाल?

  • क्या योगी संघ के नये पोस्टर ब्वॉय के तौर पर उभर रहे हैं, केरल में पदयात्रा के दौरान उनके बड़े-बडे कट आउट लगाये गये थे।
  • क्या योगी और हिंदुत्व के सहारे लाल गढ़में भगवा परचम फहराया जा सकता है।
  • 16 राज्यों के मुख्यमत्रियों को दरकिनार कर बीजेपी और संघ ने योगी को ही क्यों चुना।
  • आखिर केरल में वापंथियो और संघ के बीच पांच दशक से चल रहा संघर्ष क्यों नहीं थम रहा है।
  • क्या केरल की धरती राजनैतिक हत्याओं का सबसे बड़ा केंद्र नहीं बन गई है।
  • आखिर सबसे ज्यादा साक्षरता दर वाले राज्य में यह हिंसा क्यों नहीं थम रही है।
  • अब तक दोनों तरफ से सैकड़ों कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं, अगर राज्य की सरकार नाकाम रही तो केंद्र ने दखल क्यों नहीं दिया।
  • इससे पहले भी बीजेपी की सरकार केंद्र में रही है और इस बार भी है, तो केरल में राजनैतिक हिंसा को रोकने के लिये क्या काम किया गया।
  • केरल में आकर बीजेपी का हिदुत्व और मोदी का मैजिक क्यों फेल हो रहा है।
  • क्या केरल हमारी राजनीति का सबसे स्याह और कलंकित करने वाला चेहरा नहीं बन गया है, जिसकी चर्चा विदेशों तक में हो रही है।
  • एक तथ्य यह है कि केरल में राजनैतिक हिंसा के दौरान हिंसा करने वाले और हिंसा में मारे जाने वाले लोगो में 80 फीसदी हिंदू ही थे। यह आकंडा किस तरफ इशारा करता है क्या यहा संघर्ष हिंदू बनाम हिंदू है या वामपंथ बनाम दक्षिणपंथ।
  • इनमें से तक़रीबन 70 फ़ीसदी बेरोज़गार या अल्प आय वाले लोग थे ,जो कि थिय्या समुदाय के युवा थे, जिनके परिवारों के पास नाममात्र की ज़मीन थी। खास बात यह भी है कि इस समुदाय को वर्तमान में ओबीसी कैटगरी से बाहर रखा गया है तो क्या यह संघर्ष अन्याय के खिलाफ नेताओ की चुप्पी का नतीजा है।
  • इस हिंसा के शिकार और इसके हथियार के तौर पर सामने आने वाले निचली जाति और निम्न आय वर्ग के युवा हैं, शोध करने वाले कहते है कि स्वीकृति, बराबरी और दुनिया में अपने लिए जगह बनाने की उनकी ख़्वाहिश में यह युवा राजनैतिक दलो के अभियान का हिस्सा बन गये औऱ बाद मे शिकार बन गये।
  • यह ऐसे सवाल है जिनके जवाब न केवल केरल की सरकार बल्कि केंद्र की सरकार को देना चाहिये और यह सवाल उस पालिटिकल सिस्टम पर भी है जो वोट बैंक के लिये रक्त रंजित राजनीति को कोसने की जगह उसका सियासी लाभ लेने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं। (chief minister yogi adityanath)
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