प्रशासन की अव्यवस्था की झलक लगभग हर रोज़ देखने को मिल ही रही है. ख़ास कर बारिश के मौसम में जब ज़रा सी बारिश भी सरकार और प्रशासन के दावों की सारी पोल खोल देती है. सड़कों पर पानी भरना तो आम बात है पर स्कूल के अन्दर का ऐसा दृश्य यह सोचने पर मजबूर कर देता है की आखिर बच्चे पढेंगे कैसे? और अगर स्कूल न जाएँ तो पढाई में पीछे हो जायेंगे. बारिश का  मौसम है, आखिर कितने दिनों तक स्कूल से छुट्टी ले के बच्चों को घर पर बैठाया जा सकता है?

सरकार और प्रशासन को तो फ़िक्र ही नहीं है:

ऐसी ही बदहाली देखने को मिली चित्रकूट के एक प्राथमिक विद्यालय में. वैसे न तो ये आखिरी उदहारण है और न पहला, पर इससे और इसके जैसे बाकि विद्यालयों से एक बात तो तय है की सरकार और प्रशासन को बच्चों के पढाई की ज़रा भी परवाह नहीं है.

कठिन हो गई स्कूल की डगर:

कीचड़ और पानी से गुजर रहे हैं बच्चे. जल निकासी की कोई व्यवस्था ही नहीं है. कीचड़ व घुटनों भर पानी के बीच से निकल रहे नन्हे छात्र. जलमग्न हिस्सा सबसे ज्यादा स्कूली बच्चों के लिए बना फजीहत. छोटे बच्चो को होती है सबसे ज्यादा परेशानी. प्राथमिक विद्यालय मारकुंडी और उसी परिसर मे संचालित पूर्व माध्यमिक विद्यालय मारकुंडी के छात्र उसी स्कूल से जाते हैं.

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