मुरादाबाद :  पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों से कांग्रेस को संजीवनी मिलने से भाजपा के सामने महागठबंधन चुनौती बनता नजर आ रहा है। इसका अंदाजा कांग्रेस की अगवाई वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के साथ सपा और बसपा का आना भी है। अब मुरादाबाद मंडल की सियासत बदलना तय है। मौजूदा परिस्थितियों पर गौर करें तो सियासी दलों की निगाहें भाजपा को सत्ता में आने से रोकने पर टिकी हैं और इसके लिए मजबूत ताना-बाना बुना जा रहा है।

लोकसभा चुनाव 2019 में महागठबंधन के बैनर तले चुनाव लड़े गए तो मंडल में भाजपा को अपनी साख बचाने के लिए बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। इसका ध्यान रखकर भाजपा में संगठन की दृष्टि से बैठकों का दौर शुरू हो गया है। फिलवक्त धड़ों में बंटी भाजपा के लिए उम्मीदवारों का चयन करना मुश्किल भरा कदम होगा। वैसे भी चुनावी मशक्कत के लिए बचे चार माह अहम होंगे। इतना ही समय बाकी है। ऐसे में क्षत्रपों के लिए यह एक अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। देखा जाए तो प्रशासनिक दृष्टि से चुनावी तैयारी जोर-शोर से चल रही है।

गठबंधन हुआ तो कड़ी मेहनत करनी होगी भाजपा को

लोकसभा और विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा को सफलता नहीं मिली थी। पार्टी के खेवनहारों ने यह कहकर साख बचाकर रखी थी कि उपचुनावों का असर सियासी दलों पर नहीं होता है। अब पांच राज्यों में भाजपा अपने तीनों किले नहीं बचा पाई। हालांकि तीनों राज्यों में मोदी लहर से पहले भाजपा की सरकार बनी थी। मौजूदा चुनाव में जनता ने अपना निर्णय सुनाकर भाजपा को बाहर कर दिया। अब आगामी महीने के बाद लोकसभा चुनाव के लिए अधिसूचना जारी हो सकती है। चुनाव आयोग ने तो अपनी तैयारी भी पूरी कर ली है। यानी चंद महीने ही चुनावी वैतरणी पार करने के लिए शेष हैं। इन हालात में सियासी समीकरण में बदलाव आना लाजिमी है।

मुरादाबाद सीट पर कई दिग्गज हैं दावेदार 

बहरहाल, मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र में भाजपा की बात करें तो प्रत्याशी के बदलने की हलचल शून्य है। यह बात संगठन से जुड़े भाजपाई भी जान चुके हैं। फिलवक्त, महागठबंधन के बाद मुरादाबाद लोस सीट सपा, बसपा व कांग्रेस किसके खाते में जाएगी यह मुद्दा अहम है। सपा व कांग्रेस अपने उम्मीदवार उतारने के लिए जी-तोड़ कोशिश में हैं। भाजपा को चुनौती देने के लिए सपा के पास कद्दावर चेहरे हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर, पूर्व सांसद अजहरुद्दीन, नसीमुद्दीन सिद्दीकी पर दांव खेल सकती है। आलाकमान स्थानीय चेहरों पर ही किस्मत आजमाने के मूड में है।

सम्भल रहा है सपा का मजबूत किला

बदले समीकरण में परिवर्तन भी तय माना जा रहा है। सम्भल सपा का मजबूत किला रहा है। दिग्गजों के उतरने की स्थिति में काफी बदलाव हो सकता है। नगीना विधानसभा सीट भाजपा हार चुकी है। चूंकि क्षेत्र बिजनौर का है। वहां जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी भाजपा द्वारा कब्जाने के बावजूद कड़ी चुनौती होगी। रामपुर में अभी तक की स्थिति में तो पूर्व मंत्री के नाम के अलावा किसी का नाम सामने नहीं हैं। अमरोहा की बात करें तो गठबंधन की तस्वीर साफ होने के बाद बहुत कुछ सामने आएगा।

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