धूम्रपान निषेध है? ये तो आप खूब ही जानते हैं लेकिन क्या आप को पता है। स्मोकिंग यानी धूम्रपान की लत की वजह से न सिर्फ कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का खतरा कई गुना बढ़ जाता है बल्कि स्मोकिंग, लोगों को नपुंसकता यानी इन्फर्टिलिटी की ओर भी तेजी से ले जा रही है। इस समस्या की चपेट में युवा भी तेजी से आ रहे हैं। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के यूरॉलजी विभाग की एक स्टडी में इसका खुलासा हुआ है। स्टडी के मुताबिक, स्मोकिंग के कारण युवाओं में स्पर्म काउंट कम होने के साथ स्पर्म की गुणवत्ता भी कम हो रही है। विभाग में ऐसे मरीजों की संख्या में दो साल में दोगुने का इजाफा हुआ है।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]यूपी में धूम्रपान का जहर [/penci_blockquote]
13.5% लोग करते हैं धूम्रपान
23.1% पुरुष स्मोकिंग करते हैं
3.2% महिलाएं करती हैं धूम्रपान

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]सिगरेट पीने वाले [/penci_blockquote]
4% अडल्ट
7.3% पुरुष
0.6% महिलाएं

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]बीड़ी पीने वाले [/penci_blockquote]
7.7% अडल्ट
14% पुरुष
1.2% महिलाएं

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]स्मोकिंग करने से डैमेज हो रही कोशिकाएं[/penci_blockquote]
यूरॉलजी विभाग के हेड प्रफेसर एस एन शंखवार ने बताया कि 2012 से 2018 तक चली यह स्टडी 150 मरीजों पर की गई। स्टडी में सामने आया कि स्मोकिंग करने से इनकी कोशिकाएं डैमेज हो रही हैं, जिनसे फ्री रैडिकल निकलते हैं। ये फ्री रैडिकल अन्य कोशिकाओं को डैमेज करते हैं, जिससे धमनियां सिकुड़ने लगती हैं और इनका लचीलापन कम होता जाता है। इसका सीधा असर स्पर्म काउंट पर पड़ता है और ये जल्दी खराब भी हो जाते हैं।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]चलाई जा रही इन्फर्टिलिटी क्लीनिक[/penci_blockquote]
प्रफेसर शंखवार ने बताया कि विभाग में इन्फर्टिलिटी क्लीनिक भी चलाई जा रही है। इसमें इन्फर्टिलिटी से पीड़ित 20 से 45 साल के औसतन 10 मरीज हर दिन आ रहे हैं। इनमें 70 से 80 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जिन्हें स्मोकिंग की वजह से यह समस्या हुई है। दो साल पहले ऐसे मरीजों की संख्या तीन से चार हुआ करती थी।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]स्मोकिंग की लत छुड़वाने के लिए भी क्लिनिक [/penci_blockquote]
केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में स्मोकिंग जैसी बुरी आदत से छुटकारा दिलवाने के लिए धूम्रपान निषेध क्लिनिक चलाया जा रहा है। यहां के डॉ. आर ए एस कुशवाहा ने बताया कि हर दिन ओपीडी से 100 से अधिक लोगों को क्लीनिक में भेजा जाता है। इसमें दो तरह से दवाइयों और काउंसलिंग के जरिए इलाज होता है। लगभग 5% लोगों पर ही दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है, बाकी की स्मोकिंग काउंसलिंग के जरिए छुड़वाई जाती है।

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