उत्तर प्रदेश के जनपद मुरादाबाद की थाना सिविल लाइन पुलिस का एक ऐसा कारनामा सामने आया हैं, जिसमें घटना होने से पहले ही मेडिकल होना पाया गया और हो भी क्यों न, वादी खुद सिविल लाइन थाने के एक दरोगा जो है. 
मामला उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद का है. जहाँ 12 जुलाई को थाना सिविल लाइन क्षेत्र भटावली के रहने जरीफ अहमद को चौकी इंचार्ज अगवानपुर सन्दीप अपनी टीम के साथ एक पुराने जमीनी विवाद में गिरफ्तार करने के लिए पहुँचे थे.

क्या हैं मामला:

पीड़ित के अनुसार चौकी इंचार्ज सन्दीप उनके परिवार के पीछे पड़ा हुआ हैं. जिसकी लिखित में शिकायत पुलिस के आला अधिकारियों से की गई थी. इसी का खामियाजा उसके परिवार को 12 जुलाई भुगतना पड़ा.
civil line police done Medical examination before incident
पुलिस अपनी टीम के साथ उनके घर पहुँची और उनके मां-बाप से मारपीट करते हुए उनके पिताजी को उठा कर थाने ले गई, जहां पहुँच कर पुलिस ने उनके पिता के साथ मारपीट की.
साथ ही दरोगा सन्दीप ने अपने सिपाही को वादी बनाते हुए यह मुकदमा दर्ज कर दिया कि दबिश के दौरान जरीफ अहमद ने पुलिस पर हमला किया और सिपाही का गाल तक काट लिया.

घटना से पहले की मेडिकल रिपोर्ट से मामला संदेहपरक:

पीड़ित ने बताया कि ये मुकदमा सरासर फर्जी हैं. सिविल लाइन पुलिस ने ये मुकदमा तो जरूर किया, लेकिन वो इसमे बुरी तरह फस गई. दरअसल पुलिस की एफआईआर के अनुसार घटना दोपहर डेढ़ बजे की अंकित हैं. जबकि जिला अस्पताल में सिपाही ने जो अपना मेडिकल कराया हैं, उसमे समय दोपहर एक बजे का अंकित हैं. घटना से पहले मैडिकल हो जाने की रिपोर्ट ने पूरे घटना क्रम को संदेह के दायरे में ला दिया हैं.
civil line police done Medical examination before incident

पुलिस अधिकारी ने की जाँच की बात:

जरीफ अहमद को पुलिस ने घटना वाले दिन ही जेल भेज दिया था लेकिन पुलिस की कहानी में इतना बड़ा झोल सिविल लाइन पुलिस के गले की हड्डी बन गया हैं. इस मामले में जब सीओ सिविल लाइन अपर्णा गुप्ता से बात की गई तो पहले तो वो बात करने के लिए तैयार ही नहीं हुई लेकिन फिर अपने विभाग के दरोगा और सिपाही का बचाव करते हुए इस झोल की जांच कराने की बात जरूर कह रही हैं.

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