प्रदेश सरकार हमेशा ही पर्यटन को बढ़ावा देती है. लेकिन इस बार प्रदेश सरकार की पर्यटन को बढ़ावा देनी वाली दो महत्वपूर्ण योजनाएं हेलीकॉप्टर सेवा और रिवर फ्रंट योजना खटाई में पड़ती नजर आ रही हैं.

हेलीकॉप्टर सेवा और रिवर फ्रंट योजना में देरी:

बताया जा रहा है कि हेलीकॉप्टर सेवा के लिए जमीन की व्यवस्था अभी तक नहीं हो पाई है और रिवर फ्रंट पर भी अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं है. जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद इसकी घोषणा की थी.

हेलीकॉप्टर से आगरा भ्रमण की घोषणा काफी पहले हो चुकी है. लेकिन ऐसा लगता है कि योजना को मूर्त रूप देने में अधिकारी रुचि नहीं ले रहे है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले एक साल में अधिकारी हेलीपैड के लिए जमीन की तलाश तक नहीं कर पाए हैं.

हेलिपैड के लिए कुछ दिन पहले ताजमहल के पार्श्व में ग्यारह सीढ़ी के पास जमीन देखी गई. मगर ताजमहल के प्रतिबंधित दायरे में होने के कारण इसे खारिज कर दिया गया. इसके बाद नए सिरे से फिर से कवायद की गई.

जब से इस योजना पर जगह कम होने का अड़ंगा लग गया है तब से अधिकारियों ने इस योजना को किनारे कर दिया है. इस योजना के अंतर्गत हेलीकॉप्टर से ताजमहल, आगरा किला सहित अन्य शहरों का हवाई भ्रमण कराना था.

मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी ताजमहल के पार्श्व में यमुना के रिवर फ्रंट को विकसित करने की कोई रूपरेखा तय नहीं हो सकी है. इसकी डीपीआर तो दूर, अब तक इसका स्थान ही तय नहीं हो सका. जिस पर इनर रिंग रोड और आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के बीच में यूपीडा (उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण) की जमीन देखी गई।

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