पिछले 15 दिनों से प्रदेश का पुलिस महकमा बिना महानिदेशक पर चल रहा है। मंगलवार तक ओपी सिंह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से कार्यमुक्त नहीं हुए तो सरकार बड़ा फैसला ले सकती है। प्रदेश के डीजी रैंक के किसी अफसर को डीजीपी बनाया जा सकता है। हालांकि डीजीपी मुख्यालय में सबसे वरिष्ठ होने के नाते डीजीपी का प्रभार एडीजी कानून-व्यवस्था नंद कुमार को दिया गया है। लेकिन उनका कार्य क्षेत्र सीमित है।

सूत्रों का दावा है कि ओपी सिंह की फाइल प्रधानमंत्री कार्यालय में लंबित है। दोनों ही जगह एक ही पार्टी की सरकार होने के बावजूद फाइल लंबित होने को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। यहां तक कि अगले DGP के रूप में अलग-अलग नामों को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है। डॉ. सूर्य कुमार और डीजी इंटेलिजेंस भावेश कुमार सिंह का नाम एक बार फिर चर्चा में है।

जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 15 जनवरी को गोरखपुर से लौटेंगे। माना जा रहा है कि उसके बाद वह डीजीपी को लेकर कोई फैसला ले सकते हैं। नए डीजीपी के ना आने से मुख्यालय का कामकाज ठप है। इंस्पेक्टर से लेकर डीजी रैंक तक का स्थांतरण रुका हुआ। आईजी रैंक की पोस्ट पर डीजी रैंक और डीजी के कार्यालय में SP रैंक के अधिकारी इंचार्ज बने हुए हैं।

प्रदेश के सभी जोन की पोस्ट आईजी काडर की है, लेकिन वहां सरकार के एडीजी स्तर के अधिकारी तैनात किए हुए हैं। वाराणसी में एडीजी जोन विश्वजीत महापात्रा डेढ़ माह पहले ही प्रमोशन पाकर डीजी हो चुके हैं। लेकिन उन्हें अभी जोन में ही तैनात रखा गया है। डीआईजी रैंक की मिर्जापुर रेंज की कुर्सी पर एडीजी रैंक के अफसर प्रेम प्रकाश तैनात हैं। गोरखपुर में रेंज और जोन दोनों ही कुर्सी पर आईजी तैनात हैं।

लखनऊ में एंटी करप्शन में एक-डेढ़ माह से एडीजी, आईजी और डीआईजी के सभी पद खाली हैं। यहां डीजी का भी काम SP रैंक के अधिकारी देख रहे हैं। DGP के रहने से छुट्टियों से लेकर तबादलों तक के मामले भी अटके हुए हैं। इंस्पेक्टर के पद से प्रमोट हुए दर्जनों सीईओ को उसी जगह तैनात रखा गया है। जब कि उनकी तैनाती अन्य जिलों में होनी है। IPS अधिकारियों में SSP से लेकर DG तक के प्रमोशन के बाद बदलाव तय हैं, लेकिन इस पर निर्णय नहीं हो पा रहा।

पुलिस व्यवस्था में पैदा हुए इस स्थिति से सरकार की किरकिरी हो रही है। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने पिछले दिनों प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा था कि प्रदेश में अच्छे दिन ना होने के कारण डीजीपी ज्वाइन नहीं कर रहे। प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा कि उनकी यादाश्त में ऐसा कभी नहीं हुआ। जब 14 दिन तक डीजीपी का पद खाली रहा। यूपी में डीजीपी का पद महत्वपूर्ण है, लेकिन कमिश्नर के पद को दो माह भी खाली रखा जा सकता है। लेकिन डीजीपी का पद 1 दिन भी नहीं। विक्रम सिंह कहते हैं कि मैं केंद्रीय प्रतिनियुक्ति जी CISF से यूपी काडर में वापस आया था। तब उसी तारीख में रात 11:00 बजे तक प्रक्रिया पूरी हो गई थी और मुझे रिलीव कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि यूपी के अफसरों में प्रतिभा की कमी नहीं है, डीजीपी बनने लायक और भी अफसर हैं। प्रकाश सिंह कमेटी की सिफारिशों को देखते हुए सरकार को फैसला लेना चाहिए।

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