राजधानी लखनऊ के डॉ. भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के सभागार में बुधवार को “शून्य लागत प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण शिविर” का आयोजन किया जायेगा। यह शिविर 20 से 25 दिसंबर तक चलेगा। शिविर का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे। कार्यक्रम के दौरान सूर्यप्रताप शाही, डॉ. रीता बहुगुणा जोशी, आशुतोष टंडन, ब्रजेश पाठक सहित कई मंत्री उपस्थित रहेंगे। ये जानकारी आज नवल किशोर रोड स्थित चौपड़ अस्पताल परिसर में आयोजित एक प्रेसवार्ता के दौरान पद्मश्री सुभाष पालेकर ने दी।
CM योगी आदित्यनाथ करेंगे उद्घाटन:
- बुधवार को डॉ० भीमराव अम्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय के सभागार में “शून्य लागत प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण शिविर” का आयोजन किया जायेगा।
- कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे।
प्राकृतिक कृषि, जैविक कृषि और रासायनिक कृषि से ज्यादा बेहतर:
- पत्रकारों से बातचीत के दौरान पद्मश्री सुभाष पालेकर ने कहा कि, आज पूरी दुनिया में मानवता के सामने समस्या बहुत हैं, लेकिन इनकी समस्या के सामने कोई हल नहीं है।
- जिस रफ़्तार से हमारी जनसख्या बढ़ रही है उसी तरह जुताई करने के लिए भूमि घट रही है।
- जिन कृषि वैज्ञानिकों के दम पर प्रधानमंत्री ने दोगुना उत्पादन करने की घोषणा की थी उन वैज्ञानिकों ने हाथ खड़े कर लिए।
- दोगुना उत्पादन केवल शून्य लागत प्राकृतिक कृषि से ही सम्भव है।
- जैविक कृषि में ये सम्भव नहीं है।
- शून्य लागत प्राकृतिक कृषि, जैविक कृषि और रासायनिक कृषि से ज्यादा बेहतर है।
- पद्मश्री सुभाष पालेकर ने कहा कि खाद्य सुरक्षा एक बहुत बड़ी समस्या है।
- देश में जनसंख्या के हिसाब से प्रति एकड़ उत्पादन घट रहा है।
- पीएम मोदी ने कृषि वैज्ञानिकों को एक लक्ष्य दिया कि किसानों की आय दोगनी हो।
- किसानों का खाद्य उत्पादन बढाकर 50 करोड़ मीट्रिक टन करने की पीएम मोदी बात करते हैं, जिसे हासिल करना है।
- कई कृषि वैज्ञानिकों ने तो दोगुना उत्पादन करने से हाथ खड़े कर दिए हैं। उनके पास उत्पादन दोगना करने की कोई तकनीक नहीं है।
ये उदाहरण देकर समझाई तकनीक:
- उन्होंने उदाहरण देते हुये बताया कि, जैसे बासमती चावल को हमारी प्राकृतिक तकनीक से उगाने से दोगना उत्पादन हिंदुस्तान के कई इलाकों में प्राप्त हो रहा है।
- रासायनिक कृषि से ऐसा संभव नहीं है।
- केवल हमारी प्राकृतिक तकनीक से ये संभव है।
- प्राकृतिक कृषि में लागत का मूल्य नगण्य है या शून्य है और उपज भी बढ़ाती है जो किसानों की आय को दोगना करने की क्षमता रखती है।
- उन्होंने कहा एक और चैलेंज है-प्रदूषण, लखनऊ में भी बहुत प्रदूषण है।
- इस स्थिति में घुटन के साथ साँस की बीमारियां तेजी से बढ़ती हैं।
- ये प्रदूषण का कारण रासायनिक कृषि, धान कटाई के बाद जो अवशेष है उनका जलाना जैसी चीजें शामिल हैं।
- ज़ीरो बजट प्राकृतिक कृषि में किसी अवशेष को जलाया नहीं जाता, बल्कि उसका उपयोग कर लिया जाता है।
- इससे प्रदूषण 0 प्रतिशत होता है। इसके अलावा गावों से युवाओ का पलायन शहरों में हो रहा है क्योंकि खेती घाटे में है, ये बहुत विषम स्थिति है।
- किसान कर्जे में चला जाता है।
- 200 एकड़ का किसान का लड़का चपरासी की नौकरी करने को तैयार है, इसलिए युवा खेती से भाग रहे हैं।
- ये खतरनाक स्थिति है, इसलिए देहातों की मंदी और इस स्थिति को रोकने के लिए शून्य लागत खेती ही उपाय है।
- कम सिंचाई में गन्ने का उत्पादन से लेकर हर संभव खेती की जा सकती है।ऐसे ही हिंदुस्तान का कृषि भविष्य सुरक्षित रहेगा।
कई देशों के 1500 किसानों को दिया जायेगा प्रशिक्षण:
- उन्होंने आगे कहा कि, आज हम वर्ल्ड बैंक से धन मांग रहे हैं।
- ये जो कार्यशाला होने जा रही इसमें देश विदेश से 1500 किसान आएंगे।
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Divyang Dixit
Journalist, Listener, Mother nature's son, progressive rock lover, Pedestrian, Proud Vegan, व्यंग्यकार