आज प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद की परीक्षा के मेधावी विद्यार्थियों के सम्मान समारोह कार्यक्रम में पहुंचे. उनके साथ डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा भी कार्यक्रम में शामिल हुए. जहाँ उन्होंने विद्यार्थियों को समानित करते हुए उज्व्वल भविष्य के लिए प्रेरित किया.

सीएम योगी का संबोधन:

2001 से संस्कृत शिक्षा परिषद का गठन लंबित था

पिछली सरकारें 17 साल से असमंजस में थी.

जो लोग शिक्षा पर ध्यान नही दे सके, उनसे समाज के लिए क्या उम्मीद की जाए

हमारी सरकार में इसे प्रथमिकता से लिया गया.

संस्कृत विद्यालयों का शैक्षणिक सत्र बिगड़ा हुआ था.

पहले परीक्षा में दो महीने व रिजल्ट में एक महीने लगते थे।

नकल के ठेके होते थे।

प्रतिभा के साथ खिलवाड़ होता था।

प्रदेश में जब शिक्षा विभाग ने ठाना कि मेधावियों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए तो नकलविहीन परीक्षा कराके दिखा दिया गया.

संस्कृत के साथ उपेक्षा का पराकाष्ठता थी

मैंने ये कहा कि अगर भारत को समझना है तो संस्कृत की शरण में जाना होगा

संस्कृत के छात्र ही ये बता सकते हैं कि भारत एक वैदिक राष्ट्र है.

भारत का स्वाभिमान ना लगे इज़लिये संस्कृत की उपेक्षा होती रही है.

परंपरा को लेकर चलना अच्छी बात है.

जड़वादी व्यवस्था को हमने कभी बल नही दिया

संस्कृत को सीमित दायरे तक नही रखना चाहिए इसे आधुनिक बनाना चहिके

दुनिया में रही है कि कम्प्यूटर की भाषा संस्कृत से है.

संस्कृत को आधुनिक बनाना होगा.

संस्कृत देववाणी है इसे केवल भाषा नही मानना चाहिए.

संस्कृत पर ध्यान नही दिया गया और इसकी उपेक्षा हुई.

संस्कृत के माध्यम से आधुनिमता और परंपरा को एक साथ पेश किया जा सकता है.

शिक्षा माफिया ने प्रकृति को प्रभावित किया.

हम आधुनिकता के विरोधी नहीं रहे। हमने आधुनिकता को मान्यता दी है। शिक्षा के क्षेत्र में भी एक वर्ष में व्यापक परिवर्तन हुए हैं.

दुनिया कि तमाम भाषाओँ को संस्कृत से जोड़ेंगे.

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