भारतीय जनता पार्टी प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने उपचुनाव में सपा-बसपा समझौते पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर की तल्खी को वाजिब बताते हुए चुटकी ली। श्री त्रिपाठी ने कहा कि विधानसभा चुनावों में 27 साल यूपी बेहाल का नारा भूलकर अपनी बेहाली दूर करने के लिए दो अच्छे लड़कों का साथ पसंद किया था लेकिन जनता ने कांग्रेस की बदहाली करने के बजाय अच्छे लड़कों के साथ को भी नापसन्द कर दिया। कांग्रेस ने इन उपचुनावों में सपा का साथ छोड़कर अलग प्रत्याशी उतार दिए। बसपा सुप्रीमों मायावती जी ने सोनिया जी से जगजाहिर नजदीकियों के बावजूद हाथ को ठेंगा दिखाकर साईकिल को सहारा दे दिया।

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ऊपर से मायावती ने यह भी जता दिया कि कांग्रेस की हालत कितनी खस्ता है। राहुल गांधी जी के नेतृत्व में कांग्रेस आज इतनी निरीह महसूस कर रही है जितना इसके संस्थापकों ने कभी सोचा भी नहीं होगा। राजबब्बर की बातों में यह निरीहता झलक भी रही है। खुद की पार्टी के वोटों से एक भी राज्यसभा और विधान परिषद सदस्य न भेज पाने की हैसियत के बाद भी मायावती यह मानती है कि कांग्रेस की हैसियत उससे भी कमजोर हो गई है। खाट सभा कर चुकी कांग्रेस अब पूरी तरह से अंतिम शैय्या पर आ गई है फिर भी कांग्रेस यह यकीन नहीं कर पा रही है।
श्री त्रिपाठी ने कहा सपा-बसपा समझौता वोटों की सौदेबाजी है, जिसके पीछे राज्यसभा का गणित है। हाथी कितनी भी डायटिंग कर ले साइकिल की सवारी उसे नहीं भाएगी। हाथी चोटिल तो होगा ही और साइकिल भी चलने लायक नहीं बचेगी। श्री त्रिपाठी ने कहा कि विधानसभा चुनावों में 27 साल यूपी बेहाल का नारा भूलकर अपनी बेहाली दूर करने के लिए दो अच्छे लड़कों का साथ पसंद किया था लेकिन जनता ने कांग्रेस की बदहाली करने के बजाय अच्छे लड़कों के साथ को भी नापसन्द कर दिया। कांग्रेस ने इन उपचुनावों में सपा का साथ छोड़कर अलग प्रत्याशी उतार दिए।

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