यूपी में अपने खोये हुए जनाधार को वापस पाने कि जद्दोजहद में जुटी कांग्रेस के कई नेता अपने ओहदे को खोने के डर से डरें हुए हैं। दरअसल कांग्रेस आलाकमान ने यूपी चुनावों में अपनी वैतरणी पार लगाने के लिए कुशल रणनीतिकार और चुनाव प्रबंधन में माहिर प्रशांत किशोर का मोर्चे पर लगाया हुआ हैं। जिसके बाद कई बड़े नेताओं को अपने कद और काठी की चिन्ता सताने लगी है।

  • कांग्रेस के कई नेता दबी जुबान कहते सुने जा सकते हैं कि पीके की सक्रियता से विरोधियों से ज्यादा खुद कांग्रेसी ही परेशान हैं। इन नेताओं को अपने भविष्य की साख पर संकट गहराता दिखाई दे रहा है।
  • कांग्रेस नेता खंडेलवाल बताते हैं कि कांग्रेस की जिला इकाई में कार्यकर्ता कम और नेता अधिक हैं, जबकि प्रशान्त किशोर नेताओं की अपेक्षा काम करने वालों को अधिक पसन्द करते हैं।
  • यहां हर कोई अपना रसूख चाहता है ऐसे में पीके इन नेताओं के निशाने पर हैं।
  • कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष उपेन्द्र सिंह मानते हैं कि प्रशांत किशोर की कार्यशैली का कुछ कांग्रेसी नेता दबी जुबान गुपचुप तरीके से विरोध कर रहें हैं।
  • उपेन्द्र ने कहा कि पीके का विरोध करने वाले वे लोग हैं जिनका कोई जमीनी वजूद नहीं है और इन्होने चाटुकारिता के दम पर अपनी सियासत खड़ी की है।
  • उपेन्द्र कहते हैं कि ऐसे लोगों को समझ आ गया है कि पार्टी में अब इन लोगों के दिन पूरे होने वाले हैं और ये जल्द ही हाशिये पर आ जायेंगे।
  • कांग्रेस नेता ने कहा कि पार्टी में अब गणेश परिक्रमा के जरिये टिकट लेने वालों के दिन खत्म हो गए हैं, यही कारण है कि कुछ नेताओं को पीके की दखलंदाजी नहीं भा रही है।
  • मालूम हो कि टिकट उम्मीदवारी के लिए पीके ने 250 पार्टी कार्यकर्ताओं को अपने साथ लाने का फार्मूला दिया था, जिसे कांग्रेस नेता नहीं पचा पा रहें हैं और पीके का एक बार फिर से विरोध शुरू हो गया है।
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