2017 के यूपी विधानसभा चुनावों के समय से समाजवादी पार्टी में अखिलेश और शिवपाल के बीच ज़ुबानी जंग छिड़ी हुई थी जो आखिरकार शांत हो गयी है। दोनों नेताओं के बीच सुलह हो चुकी है। खबरें हैं कि चाचा-भतीजा अब 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को मजबूत करने पर राजी हो गए हैं। मगर सभी को हैरानी है कि अखिलेश यादव पर आक्रामक रहने वाले शिवपाल यादव इतने शांत कैसे हो गए हैं। सियासी गलियारे में चल रहा दोनों नेताओं के बीच सुलह कराने वाले का नाम भी काफी हैरान कर देने वाला है।

कांग्रेस ने कराई सुलह :

सूत्रों से खबर है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए दोनों नेताओं को मिलाने के पीछे कांग्रेस नेताओं का हाथ है। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, पार्टी लोकसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव को नाराज नहीं करना चाहती थी इसलिए कांग्रेस के आला नेताओं ने दोनों के बीच सुलह कराने का काम किया है। ये सब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की जानकारी में हुआ है। शिवपाल की कांग्रेस नेताओं के साथ कई बैठक हुई जिसके बाद जाकर कांग्रेस नेताओं ने शिवपाल और अखिलेश के बीच सुलह का फार्मूला खोज निकाला है। शिवपाल कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष का पद मांग रहे थे मगर कांग्रेस सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को नाराज नहीं करना चाहती थी।

 

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सुलह का फार्मूला :

शिवपाल यादव को दुःख था कि उन्हें पार्टी में कोई सम्मान नहीं मिल रहा है। हालांकि अखिलेश ने हमेशा कहा कि वो उनके चाचा है इसलिए वो उनका पूरा सम्मान करते हैं। शिवपाल को खुश करने के लिए ही अखिलेश ने नरेश अग्रवाल को राज्यसभा का टिकट भी नहीं दिया था। अब अखिलेश ने शिवपाल के सामने केंद्र की राजनीति करने का प्रस्ताव रखा था जिसको शिवपाल ने भारी मन से मान लिया है। ख़बरें है कि शिवपाल यादव कन्नौज से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। अभी इस सीट पर डिंपल यादव सांसद हैं जिनके चुनाव न लड़ने का ऐलान अखिलेश यादव कर चुके हैं। अखिलेश जानते हैं कि परिवार के भीतर लड़ाई से नुकसान हो सकता है। इसलिए चाचा के खिलाफ कुछ गलत कहने से परहेज कर रहे हैं।

 

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