सरकारी धन का किया जा रहा दुरुपयोग एवं उच्च अधिकारियों द्वारा किया गया धन उगाही बीजेपी योगी सरकार में भ्रष्टाचार पर किए वादे का पोल खोलता नजर आ रहा है। सिर्फ सरकारें बदल जाती हैं शासन सत्ता के लोभ में  भ्रष्टाचार और घोटाले नजर आने बंद हो जाते हैं। जब तक विपक्षी पार्टियां सरकार नहीं बना लेती तब तक तो भ्रष्टाचार और घोटाले का दर्शन आम जनता को खूब कराये जाते हैं इसके बाद जैसे ही शासन सत्ता में पहुंचे, मुद्दे उनके दृष्टिपटल से तुच्छ दिखने लगते हैं।
ताजा मामला राजधानी लखनऊ के एलोपैथिक मेडिकल कॉलेजो के ई टेंडरिंग में हुए भ्रष्टाचार और बंदरबांट की है जहां 6 राजकीय एलोपैथिक मेडिकल कॉलेजों के टेंडर में हुए बंदर बांट का सुध लेने वाले अधिकारी भी मामले को दबाने में लगे हुए हैं। जी हां कुछ दिन पहले हुए नाम मात्र के ई टेंडरिंग में अपने ही जानकारों को दे दी गई। ठेके से करोड़ों की उगाही कर बाबुओं ने अपने अधिकारी के पास ताल ठोकने शुरू कर दिए है।

निविदा किया गया था आमंत्रित

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार महानिदेशक, चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण, उत्तर प्रदेश लखनऊ ने प्रदेश के 6 राजकीय एलोपैथिक मेडिकल कॉलेजों एवं संस्थानों में ई0 हॉस्पिटल मैनेजमेंट सिस्टम लागू किये जाने हेतु आई0 टी0 लैन केबलिग कार्य एवं अन्य संयंत्र आदि की आपूर्ति एवं स्थापना कार्य  हेतु निविदा संख्या एम0ई0/क्रय/2017-18/855 दिनाँक 26 फरवरी 2018 आमंत्रित किया था। उक्त ई मैनेजमेंट सिस्टम हेतु एकेटीयू को कंसल्टेंट नियुक्त किया गया था, जिसके अधिकारियों की इस प्रोजेक्ट को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका रही।

निष्पक्ष टेण्डर का बनाया गया माहौल

एकेटीयू के एक अधिकारी का आर्थिक सम्बन्द्ध मेसर्स इंसप्रा के साथ प्रगाढ़ हो गया और सब कुछ सुनियोजित ढंग से होने लगा। तकनीकी खामियों को अन्य कंपनियों ने उजागर करने की कोशिश भी की परन्तु किसी की एक न सुनी गई। और पूरा टेण्डर मेसर्स इंसप्रा के अनुरूप तैयार कर टेंडर पोर्टल पर निविदा प्रकाशित कर दिया गया। जब तक इंसप्रा कि बिड नही आ गयी तब तक कई बार कोरियन्डम निकाल कर पूरा निष्पक्ष टेण्डर माहौल बना दिया गया। इसके पश्चात टेक्निकल बिड खुल जाने के उपरान्त अन्य कंपनियों ने तकनीकी खामियों को भी उजागर किया, परन्तु किसी की एक न सुनी गई और पूर्व सुनियोजित ढंग से कॉमर्सयल बिड खोल कर मेसर्स  इंसप्रा को ही टेंडर आवंटित कर दिया गया। जो पूर्ण कार्य 20 से 25 करोड़ में पूर्ण किया जा सकता था उसे माहौल बना कर 37 करोड़ से भी ज्यादा में आवंटित किया गया और जम के धन उगाही की गयी।

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