उत्तर प्रदेश के भगवंतनगर क्षेत्र में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह कार्यक्रम के दौरान 3 जोड़ों ने दोबारा शादी की. अफसरों की लापरवाही और अनदेखी से सरकारी योजनाओं का लाभ जरूरतमंद तक नहीं पहुँच रहा, बल्कि सरकार को हानि हो रही है.

अनुदान के लालच में 3 जोड़ों ने की दोबारा शादी:

सरकार जरूरतमंद लोगों के लिए योजनायें बनाती है. पर उन योजनाओं का क्रियान्वन सही से ना होने के कारण जिनके लिय यह योजनायें लागू की जाती है, वे इसके लाभ से वंचित रह जाते हैं. बड़ी बड़ी योजनायें बनाने वाली सरकार अगर योजनाओं को उनके सही हकदार तक पहुँचाना चाहती है तो उसे अपने प्रशासनिक अधिकारियों और अफसरों की कार्य प्रणाली पर नजर रखने की जरूरत है.
योजनायों में अफसरों की इसी लापरवाही का एक मामला सामने आया है, जिसमें मुख्यमंत्री विवाह योजना के अंतर्गत शादी शुदा जोड़ो ने दोबारा शादी रचा ली.

भगवंतनगर क्षेत्र में में 27 मार्च को हुआ था आयोजन:

बता दे कि 27 मार्च को उन्नाव जिले के भगवंत नगर क्षेत्र में एक सार्वजानिक विवाह समारोह आयोजित हुआ था. इस सरकारी सार्वजनिक विवाह समारोह में 8 जोड़ों ने एक साथ विवाह किया था.
अब मामला संज्ञान में आया है कि इन 8 जोड़ों में से 3 पहले से विवाहित थे. इस तरह से विवाहित जोड़ों के सार्वजनिक योजना के तहत शादी करने से ना केवल उन्होंने सामूहिक विवाह योजना में मिलने वाली अनुदान का उपभोग किया बल्कि किसी जरुरतमन्द के स्थान पर भी कब्जा किया.

अफसर फेर रहे सरकारी योजनाओं पर पानी:

पर सवाल यह उठता है कि किसी विवाहिता के लिए दोबारा सामूहिक विवाह योजना का हिस्सा बनना इतना आसान कैसे हो सकता है.
साफ़ है कि समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों की बड़ी लापरवाही से यह नौबत आई. अगर पहले ही विवाह समारोह में भाग लेने वाले युवक-युवतियों की सही से जाँच हुई होती, तो इस तरह की लापरवाही सामने ना आती और नहीं अनुदान के लालच में कोई ऐसा कर पाने में सक्षम होता.
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह कार्यक्रम में भाग लेने वाले गरीबी रेखा से नीचे के महिला पुरुषों की शादी का खर्च सरकार उठती है. 35000 रुपये एक जोड़े पर खर्च किया जाता है और इसके अलावा उन्हें खरेलु सामान और मोबाईल दिया जाता है.
पर अफसर मुख्यमंत्री की इस योजना पर पानी फेरने में जुटे हुए है.
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