सीजेएम कोर्ट लखनऊ ने नागरिक सुरक्षा विभाग में कार्यरत एक महिला कर्मी द्वारा आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर तथा उनकी पत्नी डॉ. नूतन ठाकुर सहित नागरिक सुरक्षा विभाग के अन्य कर्मियों के विरुद्ध कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न किये जाने संबंधी शिकायत (Sexual harassment complaint) ख़ारिज कर दिया है। 

Sexual harassment complaint में थे ये आरोप

महिला कर्मी ने यह आरोप लगाया था कि अमिताभ ने उनके साथ लैंगिक सम्बन्ध बनाने का दवाब बनाया और ऐसा नहीं होने पर उन्हें सेवा संबंधी मामलों में विभिन्न प्रकार से प्रताड़ित किया।

सीजेएम लखनऊ संध्या श्रीवास्तव ने अपने आदेश में कहा कि परिवादिनी का मुख्य आरोप विभागीय मामलों को ले कर है और जहाँ तक लैंगिक उत्पीड़न का आरोप है। वह आरोप अपने आप में निर्मूल प्रतीत होता है।

कोर्ट ने कहा कि परिवादिनी तथा साक्षियों के बयान तथा तमाम अभिलेखों से स्पष्ट है कि उनके द्वारा विभागीय कार्यवाही से क्षुब्ध हो कर यह परिवाद दाखिल किया गया है। अतः उन्होंने अभियुक्तों को तलब करने का कोई आधार नहीं होने के कारण परिवाद निरस्त कर दिया।

इससे पहले ख़ारिज हो चुका परिवाद

इससे पहले 21 दिसंबर 2017 को आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर और उनकी पत्नी एक्टिविस्ट डॉ. नूतन ठाकुर के खिलाफ राजाजीपुरम निवासी उर्वशी शर्मा द्वारा 156(3) सीआरपीसी में मुक़दमा दर्ज करने सम्बंधित प्रार्थनापत्र सीजेएम लखनऊ कोर्ट द्वारा ख़ारिज कर दिया गया था।

उर्वर्शी शर्मा ने अमिताभ और नूतन पर उन्हें ब्लैकमेल करने, साजिश के तहत उनके खिलाफ मुकदमे लिखवाने, उन्हें और उनके परिवार को बदनाम करने आदि के आरोप लगाए थे। सीजेएम संध्या श्रीवास्तव ने अपने आदेश में कहा कि वादिनी के प्रार्थनापत्र से ऐसे कोई साक्ष्य या तथ्य सामने नहीं आये हैं जिनके आधार पर इन आरोपों की पुष्टि हो, अतः इस मामले में मुक़दमा दर्ज करने का कोई औचित्य नहीं है।

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