नवजात बच्चों को एचआईवी संक्रमण से बचाने और उपचार के लिए गाय का दूध मददगार हो सकता है. ताजा शोध से इस बात की पुष्टि होती है. गाय के दूध में एक प्रोटीन की संरचना में फेरबदल कर इसमें एंटी-रेट्रोवायरल दवा को घुलनशील बनाने का नया तरीका खोज निकाला गया है.गाय का दूध इलाज के लिए बेहतर दवा के रूप में इस्तेमाल में लाया जा सकता है.

टेस्ट में हुआ पास:

  • जो HIV के मरीज हैं उनके लिए ये एंटी बॉडी फायदेमंद साबित हो सकता है.
  • गाय में सामान्यतया ये HCDR3 पाया जाता है.
  • स्माइडर बताते हैं कि HIV को लेकर इस रेस्पोंस ने उन्हें उत्साहित किया.
  • प्रतिरक्षित गायों को लेकर एक टेस्ट के जरिये पाया गया कि बड़ी मात्रा में गाय निष्क्रिय करने एंटीबॉडी उत्पन्न करती हैं.
  • अलग-अलग वायरस को लेकर भी ये प्रयोग किये गए.
  • 381 दिनों के बाद ये देखा गया कि 117 HIV टाइप के 96 फीसदी मामले निष्क्रिय हुए.
  • शोध के अनुसार, HCDR3 से 72 फीसदी तक HIV को बेकार किया जा सकता है.

पेनसिल्वानिया स्टेट यूनिवर्सिटी में भी हुआ था शोध:

  • अमेरिका की पेनसिल्वानिया स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर फेटेरिको हार्ट ने भी इसको लेकर कई प्रयोग किये थे.
  • यह भौतिक-रासायनिक गुण शिशुओं की व्यवस्था को चुनौती देते हैं.
  • हार्ट ने गाय के दूध में पाए जाने वाले एक प्रोटीन समूह ‘केसिंस’ पर इस्तेमाल करके देखा.
  • दूध में पाए जाने वाले केसिंस प्रोटीन, मां से बच्चे में एमिनो एसिड और कैल्शियम वितरण की प्राकृतिक व्यवस्था होती है.
  • हार्ट ने सोचा कि यह रिटोनावीर दवा के अणुओं को भी वितरित किया जा सकता है.
  • अणुओं की बढ़ी बाइंडिंग के परिणाम के बाद पानी बहुत न घुलने वाली दवा को बच्चों में पहुंचाने के लिए रिटोनावीर युक्त दूध का पाउडर इस्तेमाल हो सकता है.
  • एड्स से बचाव के लिए प्रयोग की जाने वाली एंटी-रेट्रोवायरल दवाएं पानी में बहुत घुलनशील नहीं होती हैं.
  • फिर भी इन एंटी-रेट्रोवायरल दवाओं से युक्त दूध बच्चों को एचआईवी संक्रमण से बचाने के लिए बेहतरीन दवा माना गया है.
  • नवजात बच्चे अधिकांश एंटी-रेट्रोवायरल दवाएं नहीं झेल पाते हैं.
  • एचआईवी से बचाव में इस्तेमाल की जाने वाली सबसे सामान्य दवा रिटोनावीर के साइड इफेक्ट भी होते हैं.
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