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जिला पंचायत अनुश्रवण प्रकोष्ठ में कार्यरत उपनिदेशक अरविंद कुमार राय के विरुद्ध चल रही घोटालों की जांच को मोटी रकम लेकर पंचायती राज विभाग के निदेशक अनिल कुमार धमेले दबाकर बैठे हैं। अरविन्द पर सरकारी दस्तावेजों में हेराफेरी कर लाखों रुपये के घोटाले की जांच चल रही है। जबकि बताया जाता है यह भ्रष्ट अधिकारी करोड़ों रुपये का सरकार को चूना लगा चुका है। इस अधिकारी की पूर्व संसद सदस्य सुशीला सरोज द्वारा दिए गए शिकायती पत्र के बाद जब जांच की गई तो मामला अधिकारियों के प्रकाश में आया। बताया जा रहा है धमेले से अगर कोई इस प्रकरण में पूछताछ के लिए उनके कार्यालय जाता है तो वह उसे भगा देते हैं और समय नहीं देते हैं। जबकि फोन करने पर कभी कॉल रिसीव नहीं करते इससे साफ जाहिर है कि धमेले भी मोटी रकम लेकर बैठे हैं।

अगले पेज पर पढ़िये कहां कितना हुआ घोटाला:

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यह है अरविन्द रॉय का गड़बड़ घोटाला

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  • इनमे पहली कि जिला पंचायत आजमगढ़ के कार्यों की तकनीकी स्वीकृति दिए जाने संबंधी जिला पंचायत अनुश्रवण प्रकोष्ठ की पत्रावली संख्या 2097/2010 के पृष्ठ 3-6 पर वित्तीय वर्ष 2010-11 में कुल 56 मार्गों का उल्लेख है।
  • इसके लिए वित्तीय स्वीकृतियां निर्गत की जानी थी।
  • इनमें 3 मार्ग क्रमशः 17ए, 37ए, एवं 38ए के रुप में अंकित हैं।
  • मार्गों की कुल वित्तीय स्वीकृति 260.6328 लाख, पत्रावली के पृष्ठ-7 पर अनुमोदित हुई है।
  • लेकिन पत्रावली के पृष्ठ 3-6 पर जिन मार्गों के विरुद्ध वित्तीय स्वीकृत किए जाने का उल्लेख किया गया है।
  • उनकी धनराशि 300.50 लाख आती है।
  • जिला पंचायत अनुश्रवण प्रकोष्ठ द्वारा निर्गत आदेश संख्या 2011/33-सेल-2010 दिनांक 10 अगस्त 2010 द्वारा भी जो वित्तीय स्वीकृत की गई है उसकी कुल धनराशि 300.05 लाख का उल्लेख है।
  • इस प्रकार अनुमोदित धनराशि से 39.4228 लाख की वित्तीय स्वीकृति अधिक निर्गत की गई।

फर्जी तरीके से बढ़ाई गई पत्रों पर रकम

  • संगत पत्रावली के पृष्ठ 3-6 पर अंकित टिप्पड़ी का फॉन्ट साइज छोटा है जबकि उक्त पत्रावली के पृष्ठ 7, जिसपर वित्तीय स्वीकृतियों का अनुमोदन प्राप्त हुआ है, का फॉन्ट साइज अलग है।
  • इससे साफ तौर पर पता चलता है कि वित्तीय स्वीकृति प्रदान किये जाने वाले मार्गों में 17ए, 37ए, एवं 38ए के रूप में अंकित मार्गों को फर्जी तरीके से बदलकर बाद में बढ़ाया गया।
  • जिला पंचायत आजमगढ़ में वित्तीय वर्ष 2010-11 में वित्तीय स्वीकृतियों की अनुमोदित धनराशि 260.6328 लाख से बढाकर 300.05 करके अरविन्द रॉय ने 39.4228 लाख रुपये का घोटाला किया।

कोर्ट का आदेश दरकिनार रख अरबो की फाइल शाशन को भेजी

  • इसी प्रकार घोटालेबाज अधिकारी अरविन्द रॉय ने जालसाजी करके जिला पंचायत में 245.140 लाख से बढाकर 270 लाख करके 25.140 लाख का घोटाला, बाराबंकी में 10 लाख से अधिक का घोटाला अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर किया।
  • इतना ही नहीं अरविन्द ने कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करते हुए बिना सब आर्डिनेट अधिकारी के हस्ताक्षर कराये बिना अरबों रुपये की फाइल शाशन को भेज दी।
  • जबकि हाईकोर्ट में 2015 में यूपी सरकार के प्रमुख सचिव द्वारा दायर याचिका नम्बर 19437 पर शख्त आदेश था कि यह फाइल सब आर्डिनेट अधिकारी के हस्ताक्षर के बिना शाशन को नहीं जाएगी।
  • फिर भी तत्कालीन विशेष सचिव सुशील कुमार मौर्या ने गलत तरीके से हस्ताक्षर करवाकर अरबों रुपये की फाइल शाशन को भेज दी।

जांच अधिकारी भी बड़ा घूसखोर

  • घोटाले बाज अरविन्द रॉय की करतूतों की जांच निदेशक पंचायती राज अनिल कुमार धमेले कर रहे हैं।
  • आरोप है कि वह भी तगड़ी रकम लेकर खामोश बैठे हैं और जांच भी ठन्डे बस्ते में डाले बैठे हैं।
  • इस संबंध में गाजीपुर जिले के जंगीपुर विधायक किसमतीया ने पंचायतीराज मंत्री को पत्र लिखकर महत्वपूर्ण पद पर बने रहने के दौरान साक्ष्यों से छेड़छाड़ कर लाखों का गबन करने वाले अरविन्द रॉय को उप निदेशक तकनीकी के पद से हटाने की मांग की थी।
  • लेकिन मोटी रकम उच्च अधिकारियों तक पहुंचने के कारण अरविन्द पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
  • वहीं आरोप यह भी है कि इस मामले में जब निदेशक पंचायती राज को फोन किया जाता है तो कभी उठता नहीं है और कार्यालय में जाकर बात करने पर भी वह समय नहीं देते।
  • इससे साफ जाहिर है कि वह मोटी रकम लेकर जांच को दबाये बैठे हैं।

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