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भले ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपनी हर चुनावी जनसभा में छात्रों को लैपटॉप बांटने का गुणगान गाते हों।

  • लेकिन उनकी इस योजना में भी लापरवाही उस वक्त सामने आई जब मिर्जापुर में एक दलित छात्रा को लैपटॉप वापस करने की चिट्ठी पहुंच गई।
  • हालांकि यह चिट्ठी मिलने के बाद छात्रा का पढ़ाई में मन नहीं लग रहा है।
  • छात्रा का कहना है कि अगर लैपटॉप वापस लेना था तो उसे लैपटॉप दिया क्यों गया।

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मिर्जापुर की रहने वाली है छात्रा

https://youtu.be/tm-XJeavMDQ

  • जानकारी के मुताबिक, मिर्जापुर के मझवां गांव निवासी दलित छात्रा मोनिका ने 2016 में हाईस्कूल की परीक्षा 83 प्रतिशत अंकों के साथ पास की है।
  • हनुमत बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की लिस्ट में छात्रा का नाम आ गया।
  • इसके बाद अखिलेश सरकार की योजना के तहत उसे द‍िसंबर 2016 में लैपटॉप दिया गया।
  • छात्रा ने बताया कि पिछली 21 फरवरी को जिला विद्यालय निरीक्षक फूलचंद यादव का लिखित आदेश मिला।
  • इसमें लैपटॉप महज इसलिए वापस करने को कहा गया कि उसका नाम जिला चयन समिति से निरस्त कर दिया गया है।
  • इसके बाद छात्रा का पढ़ाई में मन नहीं लग रहा है।
  • लैपटॉप वापस न करने पर पुलिस की मदद से उसका लैपटॉप वापस लेकर छात्रा को रिसीविंग कॉपी दे दी गई।
  • सूत्रों के मुताबिक, कुछ कागजों में गड़बड़ी होने के कारण छात्रा से लैपटॉप को वापस लिया गया है।
  • ग्रामीणों का कहना है कि छात्रा बेहद गरीब परिवार से है।
  • उसकी मां और दादी दूसरों के घरों में काम कर और पि‍ता मजदूरी कर घर चलाते हैं।
  • लैपटॉप वापस लिए जाने के बाद से बूढ़ी दादी की और पोती की आंख में आंसू निकलते देख गांव वाले भी सपा सरकार के अधिकारियों को कोस रहे हैं।
  • इस मसले में बेसिक शिक्षा एवं बाल विकास पुष्टाहार राज्य मंत्री कैलाश चौरसिया के प्रवक्ता डॉ. अरविंद श्रीवास्तव ने कहा कि इस मामले की जांच करवा कर छात्रा को न्याय दि‍लाया जाएगा।
  • लेकिन छात्रा का कहना है कि अगर उसको लैपटॉप देकर वापस ही लेना था तो उसे यह दिया ही क्यों गया।

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