उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में हावड़ा-मुंबई रेल मार्ग (WCR) के जबलपुर डिवीज़न के सतना मानिकपुर रेलखंड के अंतर्गत मारकुंडी रेलवे स्टेशन के पास गांव के सैकड़ों ग्रामीण और मासूम स्कूली बच्चे रेल पटरी पार कर आते जाते हैं। प्रतिदिन सैकड़ों पैदल यात्री, साइकिल और मोटरसाइकिल रेल पटरी पार कर निकलते हैं।

नहीं है रेलवे क्रासिंग पर फाटक:

गौरतलब है कि सैकड़ों लोग रेल लाइन पार कर रोज़ाना खेतों मे मजदूरी करने और अन्य कार्य करने जाते हैं। लेकिन ओवर ब्रिज न होने से मजदूरों की जान का जोखिम बना रहता है।

सैकड़ों लोग पैदल दैनिक कार्यों, इलाज आदि कार्यों के लिए रेल पटरी के बीच से निकलते हैं। लेकिन फुट ओवर ब्रिज न होने के कारण हमेशा हादसे का भय बना रहता है।

बता दें कि यह रास्ता दर्जनों गांवों को जोड़ते हुऐ क्षेत्र के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल मार्कंडेय आश्रम को जाता है। हर सोमवार को आश्रम मे लगने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ इसी पटरी को पार कर गुजरती है।

न ही एक कोई ओवेरब्रिज:

सोमवार को भारी संख्या मे श्रद्धालु इसी मार्ग से गुज़र कर आश्रम पहुंचते हैं। ओवरब्रिज व फाटक न होने से उनका सफर हमेशा जानलेवा रहता है।

वहीं विभाग द्वारा कोई भी प्रभावी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं, जिससे की इस स्थान पर ओवरब्रिज बनाया जा सके।

ऐसे में कह सकते है कि रेलवे को बड़े हादसे का इंतजार है। ओवर ब्रिज न होना तो मुसीबत है ही, साथ ही रास्ते पर रेलवे फाटक न होना भी किसी लापरवाही से कम नहीं है।

लगातार हो रहे हादसों के बावजूद भी रेलवे विभाग इस बात से बेखबर है।

हर रोज़ स्कूली छात्र और हज़ारों श्रद्धालु गुज़रते है रेलवे क्रासिंग से:

कई श्रद्धालु, हर दिन कई स्कूली छात्र बिना रेलवे फाटक वाले इस रेलवे क्रासिंग को पार तो करते हैं लेकिन ये कितना जोखिम भरा हो सकता है ये जानते हुए भी वो कुछ नहीं कर सकते.

सुबह स्कूल आते वक्त इन बच्चों को अकेले रेल पटरी को क्रास करना होता है। बच्चे कैसे क्रासिंग को पार करने लगते हैं वह तस्वीरें देख आपके भी रोंगटे खड़े हो जायेंगे।

मानव रहित क्रासिंग न होने की वजह से यहां से गुजरने वाले हर शख्स को अपनी जान का खतरा बना रहता है।

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