योगी सरकार ने अपराध पर अंकुश लगाने के लिए तमाम तरह के जतन कर डाले। पुलिस को वाहनों से लेकर असलहों तक की सहुलियतें मुहैया करा डाली. बावजूद इसके अपराध का ग्राफ कम होने के बजाए बढ़ता ही जा रहा है। पिछले सात महीनों के अंदर सुल्तानपुर ज़िले में हत्या की 8 वारदातों को अंजाम दिया जा चुका है। जिससे सरकार की क़ानून व्यवस्था सवालों के घेरे में है। 

बीजेपी नेता व ज़िलों के व्यापारी अपराधियों के निशाने पर:

बीते कुछ महीनों में बेखौफ अपराधियों ने पुलिस की नींद उड़ा रखी है. इस दौरान सुल्तानपुर ज़िले के व्यापारी अपराधियों के निशाने पर हैं। और पुलिस प्रशासन इन अपाराधियों के सामने कमजोर पड़ती नजर आती है.

रविवार को यहां ये इबारत लिखी गई। सबसे ज्यादा भीड़-भाड़ वाले इलाके बस स्टेशन के चर्चित अवंतिका टावर (रेस्टोरेंट) में घुसकर बेखौफ़ बदमाशों ने बीजेपी नेता एवं रेस्टोरेंट संचालक पर ताबड़तोड़ तीन गोलियां दागी और फरार हो गए।

बीते 72 घंटे के अंदर ज़िले के व्यापारी के साथ बदमाशों का ये दूसरा दुस्साहस था। इससे पहले गुरुवार को शहर के एक व्यापारी का अपहरण कर पड़ोसी ज़िले प्रतापगढ़ में हत्या कर दी गई थी। शुक्रवार को व्यापारी का शव प्रतापगढ़ के अंतु थाना क्षेत्र में पाया गया था।

दुरुस्त कानून व्यवस्था के खोखले दावों पर हावी बीते 7 माह:

सोशल मीडिया पर जानकारी के बाद परिजन शनिवार को शव लेकर जब ज़िले में पहुंचे थे तब सैक़डों की संख्या में यहां रोड जाम कर कई घंटे प्रदर्शन किया गया। समस्त व्यापारी पुलिस की हीलाहवाली से नाराज थे। लेकिन पुलिस और प्रशासन ने घटना से सबक नही लिया। नतीजतन बस स्टेशन जैसे भीड़ भाड़ वाले इलाके में होटल के अंदर बैठा व्यापारी बदमाशो की गोलियों का निशाना बन गया।

19 अप्रैल को चांदा कोतवाली क्षेत्र में हत्या:

जानकारी के अनुसार 19 अप्रैल को चांदा कोतवाली क्षेत्र में अधिवक्ता ओंकारनाथ यादव उस समय बदमाशो की गोलियों का निशाना बने, जब वो घर से निकल कर कचहरी जा रहे थे। तभी गांव के निकट बदमाशों ने उन्हें गोली मारकर ढ़ेर कर दिया।

2 जून को जयसिंहपुर कोतवाली क्षेत्र में हत्या:

अभी इस घटना को बीतने में दो माह का समय भी पूरा नहीं हुआ था कि 2 जून को जयसिंहपुर कोतवाली क्षेत्र के बिरसिंहपुर चौराहे पर पूर्व प्रधान शशांक शेखर उर्फ मुन्नू सिंह पर सरेआम गोलियां दाग़ दी गईं और उनकी मौके पर मौत हो गई।

3 जून को हालापुर में हत्या:

इस घटना को बीते 24 घंटे भी पूरे नहीं हुए थे कि इसी कोतवाली क्षेत्र के हालापुर में 3 जून को सुमित्रा यादव नाम की महिला की गला दबाकर हत्या कर दी जाती है। और शव को ठिकाने लगाने के लिए गांव के बाहर झाड़ियों में फेंक दिया जाता है।

9 जून को कुड़वार थाना क्षेत्र अपहरण के बाद हत्या:

ठीक 6 दिन बाद 9 जून को कुड़वार थाना क्षेत्र में एक व्यक्ति की अपहरण के बाद हत्या कर फेंकी गई लाश झाड़ियों में मिलती है। मृतक की शिनाख्त थाना क्षेत्र के महमदपुर प्रतापपुर निवासी शेषराम के राम के रूप में होती है।

30 जून को पूर्व बसपा नेता की हत्या: 

वहीं 30 जून को जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर स्थित कादीपुर कोतवाली क्षेत्र के मकदूमपुर कला निवासी पूर्व बसपा नेता अनंत कुमार उर्फ पप्पू की बुढ़ाना गांव के पास गोली मारकर हत्या कर दी जाती है।

14 जुलाई को महिला कांस्टेबल की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत:

फिर जुलाई माह में तो हत्याओं की बाढ़ सी आ जाती है। 14 जुलाई को डीसीआरबी में तैनात महिला कांस्टेबल की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत होती है. कांस्टेबल की लाश उसके आवास में पाई जाती है। पुलिस इसे साधारण मौत मानती है जबकि परिजनों ने हत्या का आरोप लगाया था।

15 जुलाई को कुड़वार थाना क्षेत्र में हत्या:

इसके बाद 15 जुलाई को कुड़वार थाना क्षेत्र के हसनपुर निवासी किसान की चाकू से गोदकर हत्या होती है।

26 जुलाई को हत्या:

फिर 26 जुलाई को शहर के आजाद नगर निवासी व्यवसायी वीरेंद्र जायसवाल की अपहरण के बाद निर्मम हत्या कर दी जाती है।

29 जुलाई को बीजेपी नेता पर जान लेवा हमला:

आखिर में 29 जुलाई को बीजेपी नेता पर जान लेवा हमला होता है। इन सब वारदातों ने स्पष्ट कर दिया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही ये कहते फिर रहे हों कि यूपी में आपराधिक वारदातों में कमी आई हो, लेकिन हत्याओं के ये ग्राफ उनके दावों को आईना दिखाने के लिए पर्याप्त है कि सच क्या है।

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