उत्तर प्रदेश की बिगड़ी कानून व्यवस्था को लेकर चौतरफा आलोचना हो रही है. ऐसे में बीते 28 मई को योगी सरकार ने प्रशासन में भारी फेरबदल किया. योगी सरकार ने 222 पीसीएस अधिकारियों की बदली हुई जगह पर तैनाती के आदेश दिए. योगी सरकार के करीब दो माह के कार्यकाल में यह सबसे बड़ा तबादला रहा.

इसी क्रम में गिरीश कुमार को एसडीएम वाराणसी से नगर मजिस्ट्रेट बुलंदशहर प्रोमोट कर तबादला किया गया.

जिलाधिकारी वाराणसी कार्यालय से इस खबर की पुष्टि की जा चुकी है कि SDM रहे गिरीश कुमार की मृत्यु हो चुकी है और उनके बेटे को नौकरी दी जा चुकी है. वहीँ बुलंदशहर डीएम को इस मामले का पता ही नहीं था और वो अधिकारी के ज्वाइन करने का इंतजार कर रहे थे.

sdm girish kumar

मृतक आश्रित के रूप में बेटे को मिली है नौकरी:

वाराणसी में SDM के रूप में तैनात गिरीश कुमार शर्मा की मृत्यु 29 नवम्बर को हो चुकी है. उनके बेटे राजुल शर्मा को 4 जनवरी 2017 को लिपिक पद पर नौकरी दे दी गई. इसके अलावा सेवाकाल के फण्ड का कुछ हिस्सा भी परिवार को भुगतान किया जा चूका है.

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  • बुलंदशहर प्रशासन भी सिटी मजिस्‍ट्रेट गिरीश कुमार की ज्‍वाइनिंग का इंतजार कर रहा है.
  • किसी को इस मामले की जानकारी नहीं है।
  • डीएम और ADM इस बाबत कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं थे.
  • गिरीश कुमार शर्मा की मृत्यु 2016 में 29 नवंबर को उपचार के दौरान हो गई थी.
  • इसके बाद कागजी कार्रवाई करते हुए बेटे राजुल शर्मा को 4 जनवरी 2017 को फौजदारी रिकार्ड रूम में लिपिक पद पर नौकरी दी गई।

शासन की लापरवाही ने खोली अव्यवस्था की पोल:

आनन-फानन में तबादला कर रही योगी सरकार को अधिकारियों के बारे में जानकारी ही नहीं थी. मृत अधिकारी का प्रमोशन कर गैर जनपद स्थानांतरण आदेश के बाद कर्मचारियों की नींद उड़ी है. गिरीश कुमार के मामले की जानकारी तबादले के वक्त विभाग को नहीं थी और बाद में पता चलने पर हडकंप मच गया .शासन की तरफ से हुई इस लापरवाही पर अब अधिकारी बगले झांकते नजर आ रहे हैं.

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