लखनऊ विकास प्राधिकरण में एक बार फिर दोषियों को बचाने के प्रयास होते दिख रहे हैं। वरिष्ठ अधिकारी फर्जीवाड़े की जांच कराकर फाइल को दबाये बैठे हैं और दोषियों पर कार्रवाई नहीं कर रहे। इसका एक उदाहरण शारदा नगर योजना से जुड़ा है जहां रुचि खंड में एक पार्क में चार प्लाट विकसित कर उनके समायोजन में फर्जीवाड़ा किया गया। सूत्र बताते हैं, इसमें एलडीए के कई वरिष्ठ अधिकारी संलिप्त हैं। लिहाजा, उन्हें बचाया जा रहा है।

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अब तक नहीं हुई कार्रवाई

  • करीब 20 दिन पहले पार्क में चार प्लाट विकसित कर समायोजन के नाम पर फर्जीवाड़े का मामला सामने आया था।
  • चार आवंटियों का यहां पर समायोजन किए जाने को लेकर एलडीए बोर्ड में निर्णय लिया गया था।
  • ये प्लाट एलडीए द्वारा रूचिखंड-2 शारदानगर योजना में फिशरीज बोर्ड के कार्यालय के लिए छोड़ी गई।
  • जमीन पर 200 वर्ग मी साइज के चार भूखंड 2/469, 2/470, 2/471, 2/472 थे।
  • फिशरीज बोर्ड ने इस पर आपत्ति कर दी थी।
  • एलडीए ने अपनी गलती सुधारते हुए इन भूखंड़ों को खत्म कर दिया था।
  • लेकिन इन भूखंड़ों के आवंटियों को नए भूखंड समायोजित करके देने के लिए रश्मिखंड-2 में  चार नए भूखंड विकसित किए गए।
  • विवादित भूखंड़ों के आवंटियों को यहां पर समायोजन किए जाने को लेकर प्राधिकरण बोर्ड की बैठक में तय हुआ था।

आवंटियों के बदले नाम

  • इसी बीच आवंटियों के नाम ही रिकॉर्ड में बदल दिए गए।
  • मूल आवंटियों के स्थान पर सावित्री देवी, रश्मि श्रीवास्तव, राम शंकर श्रीवास्तव व इखलाक के नाम फीड कर दिए गए।
  • जानकारी के अनुसार मत्स्य विभाग की जमीन पर कटे चार भूखंडों के भू-स्वामियों के नाम कंप्यूटर रिकॉर्ड में बदलने का मामला खुला ।
  • इस पर अपर सचिव सीमा ने ओएसडी राजीव कुमार से रिपोर्ट मांगी थी।
  • फर्जीवाड़े में बाबू धीरज श्रीवास्तव की आईडी से नाम बदले जाने की रिपोर्ट कंप्यूटर सेक्शन ने अपर सचिव को दी थी।

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  • इस मामले को लेकर सभी जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति किए जाने के लिए वीसी से कही गयी थी।
  • जबकि मूल आवंटियों ने भी प्लाट न मिलने पर शिकायत दर्ज करायी थी।
  • इस मामले को लेकर वीसी ने पूरी रिपोर्ट सचिव से मांगी।
  • हालाकि जांच अपर सचिव सीमा सिंह ने की है।
  • इस संबंध में एलडीए के सचिव जेएस दुबे ने फाइल देखने की बात कहकर मामले को टाल दिया।
  • जबकि इस मामले में जब वीसी से बात की तो उन्होंने भी कोई जवाब नहीं दिया।

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