मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आई जी आर एस ऑन लाइन पी जी पोर्टल पर होने वाली शिकायतों का अधिकारी मजाक बना रहे है। कानपुर की एक सामाजिक संस्था ‘कानपुर दक्षिण परिवर्तन मंच‘ ने स्कूल, कालेजों, धार्मिक स्थलों और सार्वजनिक स्थलों पर नशीले व मादक पदार्थो की बिक्री पर रोकथाम करने के लिए की शिकायत थी। जिसके बाद संस्था को बड़ा ही बेतुका जवाब मिला है। जवाब में उत्तर प्रदेश में शराब बंद नहीं होने का कारण 15 हजार करोड़ के राजस्व का नुकसान होना बताया।

बताते चलें कि कानपुर की सामाजिक संस्था ‘कानपुर दक्षिण परिवर्तन मंच‘ ने स्कूल, कालेजों, धार्मिक स्थलों और सार्वजनिक स्थलों पर नशीले व मादक पदार्थो की बिक्री पर रोकथाम करने के लिए की शिकायत थी। जिसके शिकायत संस्था ने आई जी आर एस ऑन लाइन पी जी पोर्टल पर किया था। शिकायत के बाद पोर्टल की तरफ आए हुए जवाब में कहा गया है कि मदिरा व्यवसाय से राज्य को 15 हजार करोड़ रूपये का राजस्व प्राप्त होता है। जिसका उपयोग राज्य के विकास कार्यों एवं विभिन्न योजनाओं में लगाया जाता है।

मदिरा प्रेमियों को नहीं उपलब्ध हो पाएगी मानक मदिरा

पोर्टल द्वारा उत्तर प्रदेश उप आबकारी आयुक्त सुरेशचन्द के दिए जवाब में यह भी कहा गया है कि यदि उत्तर प्रदेश में शराब बंद कर दी गई तो मदिरा प्रेमियों को मानक मदिरा उपलब्ध नहीं हो पाएगी। जिससे मदिरा प्रेमी अन्य स्रोतों से तस्करी कर लाए गए मदिरा का सेवन करेंगे जिससे जनहानि की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।

 

पूर्ण शराबबंदी से होगा 15 हजार करोड़ का राजस्व नुकसान

पत्र में बताया गया है कि यदि उत्तर प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी नीति को लागू कर दिया जाए तो राजस्व को भारी नुकसान पहुंचेगा। शराबबंदी से होने वाले राजस्व नुकसान 15 हजार करोड़ बताया गया है। कहा गया है कि शराबबंदी से सिर्फ राजस्व का ही नुकसान नहीं होगा बल्कि जनहानि की संभावनाए भी बढ़ जाएगी क्योंकि मदिरा प्रेमियों को मदिरा पीने के लिए अवैध रूप से तस्करी कर शराब लाया जाएगा, जो मानक के अनुरूप नहीं होगा।

शिकायत कुछ और जवाब कुछ और

शिकायत करने वाली संस्था ने मांग की है कि प्रदेश भर में खुले में शराब बिक्री पर रोक लगाई जाए। यदि कोई व्यक्ति नशे की हालत में घूमते हुए पाया जाए तो उसके खिलाफ सख्त प्रक्रिया अपनाने की मांग की है। लेकिन आबकारी विभाग से मिले जवाब में कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी नहीं लागू की जा सकती। यदि लागू की जाती है तो प्रदेश को लगभग 15 हजार करोड़ के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ेगा। जिसका असर प्रदेश के विकास योजनाएं प्रभावित होंगी। विभाग की तरफ से मिले इस बेतुके जवाब के साथ लंबित शिकायत को वेबसाइट से पृथक करने की अपील कर रहे हैं।

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