उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और राजमंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी ने विश्वकर्मा सॉफ्टवेयर को लॉन्च किया। इसके साथ ही ई-चाणक्य साफ्टवेयर को भी लॉन्च किया गया। इस दौरान उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और राज्य मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी ने नई तकनीकी और नए सॉफ्टवेयर की जानकारी वाली पुस्तक का विमोचन किया। इस मौके पर डिप्टी सीएम ने कहा कि विश्वकर्मा सृष्टि के निर्माता है और उनके नाम से सॉफ्टवेयर सामने आया है। जल्द ही कार्यो की निगरानी के लिए ‘निगरानी ऐप’ भी आएगा। विश्वेश्वरैया हाल में पीडब्ल्यूडी विभागाध्यक्ष वीके सिंह, विभागाध्यक्ष ग्रामीण रमेश चंद्र बरनवाल, सभी चीफ इंजीनियर, अधीक्षण अभियंता व अधिशासी अभियंता पहुंचे।

नहीं लगाना पड़ेगा पीडब्ल्यूडी के चक्कर

पीडब्लूडी विभागाध्यक्ष वीके सिंह ने बताया कि इस चाणक्य सॉफ्टवेयर से ठेकेदारों को राहत मिलेगी। इस साॅफ्टवेयर की सहायता से पीडब्ल्यूडी के चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। घर बैठे पीडब्ल्यूडी विभाग में रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है। टेंडर से संबंधित सभी जानकारी सुगमता से मिलेगी। इस सॉफ्टवेयर से फर्म का कब रजिस्ट्रेशन खत्म हो रहा है और कौन सी फर्म ब्लैक लिस्ट है, सारी जानकारी मिलेगी। इस साफ्टवेयर के द्वारा ठेकेदार के सभी कार्य की जानकारी मिलेगी। वहीं ठेकेदार ने कितना काम किया और कितना बाकी सभी जानकारी कोई भी कहीं से भी कर सकेगा।

डिप्टी सीएम ने कहा कि-

देश के विकास में उत्तर प्रदेश अहम् स्थान रखता है।

गड्ढा मुक्त सड़कों के जो आंकड़े हैं, इस वर्ष 15000 किलोमीटर की सड़कों का कार्य करना है।

8600 किलोमीटर की सड़कें भी मरम्मत करना है।

700 किलोमीटर की कुछ अन्य सड़कों को भी गड्ढा मुक्त घोषित किया गया है।

बरसात के दिनों में भी सड़कों का निर्माण किया जाए।

इसको लेकर भी हम लोगों को उपाय निकालना होगा।

जो ठेकेदार और अधिकारी समय से काम पूरा करेंगे, उन्हें सम्मानित किया जाएगा।

लोक निर्माण विभाग में जो भी बजट आया है, वह 6 महीने के अंदर पूरा खर्च होना चाहिए, लोगों को दिखना चाहिए।

मुख्य मार्ग से 5 किमी तक के अंदर के गावों को जोड़ा जाएगा।

सड़कों के निर्माण में जल निकासी की भी व्यवस्था की जायेगी।

अब 18 मंडलों में 12 की जगह 18 चीफ इंजिनियर तैनात कर रहे है, ताकि तेजी से विकास कार्य हो सके।

हमें बड़ी संख्या में अभी राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने हैं।

15 जून तक उत्तर प्रदेश में सभी सेतुओं की रिपोर्ट निरिचड़ के बाद जल्द मिलनी चाहिए।

14 परियोजना 100 करोड़ से अधिक की लागत की हैं।

ज़माना बदल चुका है, नयी टेक्नोलॉजी का भी हम इस्तेमाल करेंगे।

जिले के अंदर सड़कों की डायरेक्टरी बनाने का निर्णय लिया गया है।

कौन सी सड़क किस विभाग की है, इसकी जानकारी आसानी से लोगों को मिलेगी।

हमारा ईमेल [email protected] पर अपनी समस्या व सुझाव ईमेल कर दे सकते हैं।

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