पूरे देश में छठ पूजा का महापर्व बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया। बुधवार को सुबह व्रती महिलाओं ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ मइया की विधि विधान से पूजन शुरू किया और शाम को अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया। छठ पूजा का मुख्य आयोजन राजधानी लखनऊ के लक्ष्मण मेला स्थल पर हुआ। यहां तीन सौ से अधिक छठ मइया के प्रतीक बनाए गए थे। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए भी यहां मंच बनाये गए। सुबह व्रती महिलाओं ने भोर से ही उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपने पति और पुत्रों की लंबी उम्र की कामना की। साथ ही व्रत के पारण के बाद महिलाओं ने इस अद्भुत पल को अपने मोबाईल के कैमरे में सेल्फी लेकर कैद किया।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]सभी घाटों पर हुई छठ मइया की पूजा[/penci_blockquote]
गौरतलब है कि गुरुवार शाम को व्रती महिलाओं ने छठ पूजा के दौरान गोमती नदी पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर समृद्धि की कामना की। कांचहि बांस की बहंगिया बहंगी लचकत जाय.. गीतों के संग टोलियों में लक्ष्मण मेला स्थित छठ घाट पर पहुंची और छठ मइया के प्रतीक सुसुबिता पर दीप जलाया और सूर्य को अर्घ्य दिया। व्रती महिलाओं ने गोमती के पानी में खड़े होकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर संतान सुख की और परिवार की समृद्धि की कामना की। वहीं शुक्रवार सुबह उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देकर महिलाओं ने खदरा के शिव मंदिर घाट के साथ ही मनकामेश्वर घाट, झूलेलाल घाट सहित सभी घाटों पर महिलाओं ने पूजा-पाठ किया।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]36 घंटे का किया निर्जला व्रत[/penci_blockquote]
बता दें कि बुधवार को व्रती महिलाओं ने रसियाव (गुड़ की बनी खीर) का सेवन कर 36 घंटे का निर्जला व्रत की शुरुआत की। नदी के किनारे मिट्टी की बनी सुसुबिता (छठी मइया का प्रतीक) का निर्माण किया। स्नानकर महिलाएं ने पानी में खड़े होकर डूबते और उगते और अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देकर संतान सुख की कामना की। पूजा के दौरान छठ मइया के गीतों के साथ पति या बेटा सिर पर बास की टोकरी में सभी मौसमी फल रखकर घाट तक जाते हैं। महिलाएं सूप में जलते दीपक और गंगाजल के साथ छठ गीतों के संग पीछे-पीछे चलती हैं। गुरुवार को ठेकुआ के साथ ही पूजन में लगने वाली सामग्री भी बनाई गई। शुक्रवार को सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया गया। पूजा के दौरान कुछ लोगों ने तो गोमती नदी के घाट पर ही रात बिताई, वहीं महिलाएं रातभर छठ मइया के गीत गाती रहीं। व्रती महिलाएं सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद अपने घरों को वापस चली गईं।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]यहां पर हुई छठ पूजा[/penci_blockquote]
बीरबल साहनी मार्ग स्थित श्री खाटू श्याम मंदिर के पास भी छठ पूजा हुई। घाट न होने से वह एक स्थान बनाया गया था। केसरी खेड़ा रेलवे क्रासिंग के पास छोटी नहर में गंदा पानी होने की वजह से पूर्वाचल के लोग कृष्णानगर के मानसनगर के नई पानी की टंकी स्थित संकट मोचन हनुमान मंदिर परिसर में सुसुबिता बनाई गई थी। महानगर के 35वीं वाहिनी पीएसी, 32वीं बटालियन के साथ ही मवैया समेत रेलवे कॉलोनियों में भी पूजन किया गया। खदरा के शिव मंदिर घाट पर संयोजक धनंजय द्विवेदी ने बताया कि संतोष राय के गीतों के बीच पूजा हुई।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]गाजीपुर में भी दिया गया अस्ताचल गामी सूर्य को अर्घ्य[/penci_blockquote]
गाजीपुर जिले की व्रती महिला माया ने बताया कि छठ पूजन जो कि एक बिहार और पूर्वांचल के साथ पूरे देश मे अब मनाया गया। छठ पूजा तीन दिनों की पूजा होती है जिसमे प्रथम दिन व्रती महिलायें दिन भर व्रत के पश्चात रात में लौकी भात खाकर रहती हैं। उसके दूसरे दिन महिलाएं निर्जला व्रत रख कर गंगा या किसी नदी के तट पर पहुँचती हैं और गंगा जल में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं। उसके बाद महिलायें वापस अपने घरों को जाती है और दूसरे दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व फिर नदी तट पर पहुँचती हैं और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं। इस प्रकार उनका निर्जला व्रत पूर्ण होता है।

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