उत्तर प्रदेश पुलिस के महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह (DGP OP SINGH) मंगलवार सुबह कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच अपने एक दिवसीय दौरे पर मेरठ जिला अपनी पत्नी नीलम सिंह के साथ पहुंचे। यहां उनका रिजर्व पुलिस लाइन में एसएसपी राजेश पांडेय ने गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। डीजीपी ने सुबह 10 बजे सर्किट हॉउस में परेड की सलामी ली। 10:30 बजे डीजीपी ने सदर बाजार थाना में 1857 की क्रांति के जनक अमर शहीद कोतवाल धन सिंह गुर्जर की प्रतिमा का अनावरण किया। इसके बाद थाने का निरीक्षण किया।

सुबह 10:45 बजे डीजीपी की पत्नी नीलम सिंह रिजर्व पुलिस लाइन पहुंची। यहां उनका स्वागत किया गया। नीलम महिला कल्याण केंद्र में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने पहुंची थी। यहां उन्होंने पुलिस वालों के बच्चों जो हाईस्कूल व इंटर के पास हुए थे उन बच्चों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया। यहां डीजीपी भी कार्यक्रम में शामिल हुए। दोपहर 12:05 बजे डीजीपी मेरठ जोन के कार्यालय पहुंचे। यहां उन्होंने नव निर्मित सभागार का उद्घाटन किया। डीजीपी ने दोपहर 12:30 बजे एडीजी कार्यालय में पुलिस अधिकारियों के साथ गोष्ठी की इसके बाद डीजीपी अपनी पत्नी के साथ दिल्ली रवाना हो गए। डीजीपी के कार्यक्रम के दौरान ADG जोन प्रशांत कुमार, आईजी रेंज रामकुमार, एसएसपी राजेश कुमार पांडे समेत तमाम अफसर और गणमान्य लोग सदर बाजार थाने में मौजूद रहे।

एसएसपी राजेश पांडेय ने प्रतिमा लगाने के दिए थे आदेश

बता दें कि 1857 की क्रांति के जनक अमर शहीद कोतवाल धन सिंह गुर्जर मेरठ के सदर बाजार में थाने में तैनात थे। उसी थाने में उनकी प्रतिमा लगाई गई। पुलिस अफसरों ने सदर बाजार थाने को सजा कर तैयार किया था। मंगलवार सुबह प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह मेरठ पहुंचे और उन्होंने प्रतिमा का अनावरण किया। सदर बाजार थाने के कोतवाल रहते हुए धन सिंह गुर्जर ने अंग्रेजो के खिलाफ आवाज उठाई थी। धन सिंह कोतवाल के नेतृत्व में जेल पर हमला बोलकर सैकड़ों कैदियों को छुड़ा लिया था। एसएसपी राजेश कुमार पांडेय ने 10 मई क्रांति दिवस पर शहीद धन सिंह की प्रतिमा सदर बाजार थाने में स्थापित कराने के निर्देश दिए थे।

अंग्रेजो का कर दिया था कत्लेआम

SSP के अनुसार, कोतवाली सदर बाजार के कोतवाल रहे ग्राम पांचली निवासी धर्म सिंह गुर्जर ने 10 मई 1857 के दिन इतिहास प्रसिद्ध ब्रिटिश विरोधी जन क्रांति के विस्फोट में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। एक पूर्व योजना के तहत विद्रोही सैनिकों तथा कोतवाल धन सिंह सहित पुलिस फोर्स ने अंग्रेजो के खिलाफ सजा मोर्चा गठित कर क्रांतिकारी योजनाओं को अंजाम दिया था। शाम 5:00 से 6:00 के बीच सदर बाजार की सशस्त्र बल और सैनिकों ने सभी स्थानों पर एक विद्रोह कर दिया। कोतवाल धनसिंह द्वारा निर्देशित पुलिस के नेतृत्व में क्रांतिकारी भीड़ ने मारो फिरंगी का घुसकर सदर बाजार और कैंट क्षेत्र में अंग्रेजों का कत्लेआम कर दिया।

839 कैदियों को छुड़ाकर जेल में लगाई थी आग

कोतवाल धन सिंह के आव्हान पर उनके अपने गांव पांचली सहित गांव नगला, गगोल, नूर नगर, लिसाड़ी, चुड़ियाला डोलना आदि गांवों के हजारों लोग सदर कोतवाली क्षेत्र में जमा हो गए थे। प्रचलित मान्यता के अनुसार, कोतवाल धनसिंह के नेतृत्व में रात 2:00 बजे नई जेल तोड़कर 839 कैदियों को छुड़ा लिया गया और जेल में आग लगा दी गई थी।

10 मई 1857 को पूरे दिन चली थी क्रांति

शहीद कोतवाल धन सिंह गुर्जर का जन्म 27 नवंबर 1814 को ग्राम पांचली खुर्द में किसान परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम जोधा सिंह और माता का नाम मनभरी देवी था। इनका बचपन अपनी बहन के यहां बहसूमा में बीता था। उच्च शिक्षा प्राप्त कर पुलिस में भर्ती हो गए। अंग्रेजी सरकार की हुकूमत में मेरठ शहर के कोतवाल बने। 1857 के विद्रोह की खबर सुनकर आसपास के गांव वालों को संदेश दिवाकर हथियारों के साथ एकत्र किया। धन सिंह गुर्जर के कुशल नेतृत्व में जेल का फाटक तोड़कर कैदियों को बाहर निकाला और प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का बिगुल बजा दिया। 10 मई 1857 को पूरे दिन क्रांति चलती रही। अगले दिन 11 मई को कोतवाल धन सिंह गुर्जर को तोप से कंपनी सरकार ने मौत के घाट उतार दिया था।

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