अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के संयुक्त क्षेत्र संगठन मंत्री रहे धर्मपाल सिंह (Dharmpal Singh) अब झारखण्ड भाजपा के संगठन महामंत्री बनाये गये हैं। धर्मपाल बिजनौर जिले के नगीना तहसील के हुरनगला के मूल निवासी हैं।
- मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद सरकारी नौकरी को त्याग कर 1990 में अभाविप के पूर्णकालिक निकले और 27 वर्षो तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद(अभाविप) के विभिन्न दायित्वों का निर्वहन किया।
- उन्हें इससे पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संगठन मंत्री और राष्ट्रीय मंत्री की जिम्मेंदारी दी गई थी।
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भाजपा की जिम्मेदारी दी गई जिम्मेदारी
- उल्लेखनीय है कि लखनऊ में 27 मई से 01 जून तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) की हुई राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद की बैठक में श्री सिंह को परिषद से विदाई किया गया था।
- अभाविप की कार्यपद्धति में पूर्णकालिक की जो रचना है, उसमें संगठनमंत्री अधिकतम 48 वर्ष तक ही कार्य कर सकता है।
- उसके बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से उस पूर्णकालिक कार्यकर्ता को किसी समवैचारिक संगठन के दायित्व पर भेजने की परम्परा है।
- उसी कड़ी में मंगलवार को धर्मपाल सिंह को भाजपा की जिम्मेदारी दी गई।
- इसकी घोषणा राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल ने दिल्ली में एक बैठक के दौरान की।
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छात्रों के बीच किये कई नये प्रयोग
- श्री सिंह को छात्र राजनीति का पुरोधा माना जाता है।
- उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड के क्षेत्रीय संगठन मंत्री रहते हुए छात्रों के बीच कई नये प्रयोग किये।
- छात्र सिर्फ विश्वविद्यालय व काॅलेज परिसर की शैक्षणिक व्यवस्था को ही ठीक नहीं करेगा, वह गांव जाकर वहां की वास्तविक समस्याओं को जानेगा और समझेगा, फिर उसका समाधान खोजेगा।
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- उनके सुझाव पर ही केन्द्रीय नेतृत्व ने देशभर में ‘अनुभूति’ कार्यक्रम को शुरू किया।
- उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड में भाजपा को सत्ता तक पहुंचाने में धर्मपाल सिंह की बड़ी भूमिका रही।
- भाजपा के कई कार्यक्रमों को धरातल पर पहुंचाने में श्री सिंह की अहम भूमिका रही है।
- श्री सिंह के नेतृत्व में विद्यार्थी परिषद का संगठनात्मक ढांचा काफी मजबूत हुआ।
- उनकी (Dharmpal Singh) कार्यकुशलता व आत्मीय लगाव ने छात्रों को काफी प्रभावित किया।
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