लखनऊ विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया. दीक्षांत समारोह का राज्यपाल राम नाईक ने उद्घाटन किया. गृहमंत्री राजनाथ सिंह दिल्ली से इस कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे. राज्यपाल राम नाईक और दिनेश शर्मा पहुंचे थे. इस दौरान विधि संकाय के छात्रों को उपाधि प्रदान की गई. 

छात्र रहते हुए कभी मर्यादाओं को नहीं तोड़ा

  • राजनाथ सिंह ने कहा कि मुझे मानद उपाधि दी गई, मैंने आग्रह किया था कि मुझे ये उपाधि ना दी जाए मैं इस योग्य नहीं 
  • राजनाथ सिंह ने कहा कि व्यक्ति का कद उसके पद से नहीं कृतियों से बड़ा होता है.
  • मुझे मानद उपाधि देने का आदेश राज्यपाल का था इसलिए इनकार ना कर सका.
  • माता, पिता और गुरु के द्वारा संस्कार प्राप्त होते हैं, माता पिता के साथ गुरुओं का उल्लेख होना चाहिए.
  • राजनाथ सिंह ने कहा कि जब मैं प्राइमरी में पढ़ता था तो एक मौलवी साहब पढ़ाते थे.
  • जब मैं यूपी का शिक्षा मंत्री बना तो मेरे घर जाते समय वो मौलवी साहब फूलों का हार लिए खड़े थे, मैंने उनके चरण स्पर्श किये तो वो रो दिए.
  • राजनाथ सिंह ने कहा कि गुरुओं के महत्व को हमें समझना चाहिए.
  • मनुष्य के जीवन में गुरु का बड़ा महत्व होता है.
  • राजनाथ सिंह ने कहा कि मनुष्य के लिए ज्ञान ही पर्याप्त नहीं संस्कार भी बहुत अहम.
  • भारत के चरित्र की गाथा दुनिया के कोने कोने तक फैली है.
  • उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद भारत के पहले ग्लोबल यूथ थे.
  • मैं भी बहुत तेज़ तर्रार छात्र रहा हूँ, कभी मर्यादाओं को नहीं तोड़ा.
  • छात्रों कभी मर्यादाओं को मत तोड़ना.
  • राजनाथ सिंह ने कहा कि मर्यादाओं का पालन, प्रिय ही नहीं पूज्य बनाता है
  • आज रावण नहीं राम की पूजा होती है.
  • विश्वास के साथ कह सकता हूँ भारत विश्व गुरू बन सकता है.
  • जबकि इस कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा भी पहुंचे थे. 
  • उन्होंने कहा कि गुरु का स्थान देवता के तुल्य माना गया है.
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