बिजनौर में अब किसानों को खतौनी लेने के लिए तहसीलों के चक्कर नहीं लगाने पडेंगे। जिले के किसान घर बैठे ही अपनी खतौनी की पूरी जानकारी हासिल कर सकते हैं। साथ ही जमीन का क्रय-विक्रय होने की प्रक्रिया में कोई बाधा नहीं आएगी। वेब आधारित ऑनलाइन भूलेख साफ्टवेयर सभी तहसीलों में लागू करने वाला बिजनौर सूबे का पहला जिला बन गया है। डीएम बी चंद्रकला ने इस प्रणाली का सोमवार को तहसील में उद्घाटन किया।

ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में बिजनौर ने एक बड़ी छलांग लगायी है, बिजनौर में सोमवार को उत्तर-प्रदेश की पहली डिजिटल सिग्नेचर्ड खतौनी जारी की गयी है। इस खतौनी का इस्तैमाल कहीं भी किया जा सकता है, हर खतौनी को अपना खास QR कोड भी जारी किया गया है।

सोमवार को तहसील में आयोजित कार्यक्रम में जिलाधिकारी ने बताया कि किसी भी जनसेवा केंद्र या नेट बैंकिंग से भी खतौनी की डिजीटल हस्ताक्षरित खतौनी किसी भी समय प्राप्त की जा सकती है।

जिलाधिकारी बी चन्द्रकला, अपर जिलाधिकारी राममूर्ति मिश्रा, जिला सूचना अधिकारी नंदकिशोर और जिले के सभी तहसीलदारों ने इस बड़ी उपलब्धि के लिए कई महीनों तक कड़ी मेहनत की।

बिजनौर डीएम बी. चन्द्रकला ने सोमवार को इस प्रोजेक्ट की औपचारिक शुरूआत करते हुए फीता काटा। इस खतौनी को अब अदालत, बैंक और सरकारी प्रयोजन से भी इस्तेमाल किया जा सकेगा।

DM B. Chandrakala launch-of-online-software

डिजीटली सिग्नेचर्ड खतौनी की खासियत

  • डिजीटली सिग्नेचर्ड खतौनी में राज्य, जनपद और तहसील स्तर पर इसका लॉग-इन प्रदान किया गया है जिससे इसके डाटा में छेड़छाड़ नहीं की जा सकेगी।
  • मालूम हो कि इस खतौनी के अभिलेखो में यूनीकोड फॉन्ट का प्रयोग किया गया है जो विश्व स्तर तक प्रचलित है।
  • भू-स्वामियों के बैक अकाउंट भी आधार कार्ड से लिंक-अप किया जाएगा जिससे ऋृण के लेन-देन में होने वाली गड़बड़ियों से बचा जा सकेगा।
  • खतौनी में एकरूपता रहे, इसके लिए राजस्व ग्रामों को जनसंख्या-2011 के अनुसार मैप किया गया है।
  • भू-स्वामियों के मोबाइल संख्या से इस प्रणाली को अपडेट किया जा रहा है, जिसके बाद जमीन की दाखिल-खारिज होने पर किसान के पास इसका एसएमएस अलर्ट भी पहुँचेगा।
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