देवरिया के हरैया प्राथमिक स्कूल से अब तक इस्लामिक नाम का बोर्ड तक नहीं हटा है. बता दें कि जिले के कई प्राथमिक स्कूलों का इस्लामीकरण होने का मामला सामने आया था. जिसमें न केवल स्कूलों का नाम बदल दिया गया बल्कि यहाँ छुट्टी भी रविवार को न होकर शुक्रवार को होती हैं. इस मामले के सामने आने के बाद अब तक कार्रवाई के नाम पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया हैं.

प्राथमिक स्कूलों का हुआ इस्लामीकरण:

हमेशा धर्म और जात के आधार पर इंसानों और देश को बंटते देखा है लेकिन सरकारी प्राथमिक स्कूलों को भी अब धर्म के आधार पर बदलते देखा जा सकता हैं. जहाँ कुछ प्राथमिक स्कूलों का इस्लामीकरण हो गया हैं. ये प्राथमिक स्कूल केवल बोर्ड में नामकरण तक हीं सीमित नहीं हैं बल्कि स्कूल की कई अन्य कार्य विधियों के मुताबिक़ भी इनका इस्लामीकरण हो चुका हैं. लेकिन उसके बाद भी प्रशासन कुंभकरणी नींद में हैं.

प्राथमिक स्कूल का नाम तक बदल गया:

मामला देवरिया जिले का है जहाँ 6 प्राथमिक विद्यालयों का इस्लामीकरण हुआ हैं. सालों से ये प्राथमिक विद्यालय इस्लाम के आधार पर कार्य कर रहे हैं. इन सरकारी प्राथमिक विद्यालयों का नाम तक बदल दिया गया. देवरिया के हरैया गाँव के प्राथमिक विद्यालय का नाम बदल कर इस्लामिया प्राथमिक विद्यालय हो गया. स्कूल के बोर्ड और दीवारों पर भी यहीं नाम अंकित कर दिया गया. बता दें की सरकारी प्राथमिक स्कूलों में बिना इजाजत ऐसा कुछ भी लिखने का आदेश नहीं हैं.

रविवार की जगह शुक्रवार को होती है छुट्टी:

इतना ही नहीं इन विद्यालयों का इस्लामीकरण इस हद्द तक किया जा चुका है कि यहाँ स्कूल की छुट्टी अन्य स्कूलों की तरह रविवार को नहीं बल्कि शुक्रवार को होती है. रविवार को बच्चे स्कूल में पढ़ने आते है और शुक्रवार को साप्ताहिक छुट्टी करते हैं. इसके अलावा इन स्कूलों में छात्रों के और शिक्षकों के रजिस्टर भी उर्दू में हैं. इन स्कूलों में 60 प्रतिशत बच्चे अल्प संख्यक समुदाय के है. वहीं शिक्षक भी अल्पसंख्यक समूदाय के ही हैं.
बता दें कि स्कूलों में ये कारनामा कुछ दिनों की कहानी नहीं बल्कि ये खेल सालों से चल रहा है. लेकिन अब तक इसको लेकर शिक्षा विभाग या तो अनभिज्ञ था या लापरवा. तभी इस ओर कोई कार्रवाई नहीं की गयी.

डीएम देवरिया नहीं दे रहे ध्यान:

मामला सामने आने के बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने जांच करवाई और तत्काल कार्रवाई की बात कही. इस पूरे मामले ने बेशिक शिक्षा विभाग ने रिपोर्ट तैयार कर देवरिया के जिलाधिकारी सुजीत घोष को भेज दी. लेकिन डीएम देवरिया की तरह से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसे लापरवाही कहे या डीएम की निष्क्रियता कि अब तक इन विद्यालयों के  बोर्ड से नाम तक नहीं हटाये गये. सीएम योगी के आदेशों का भी डीएम सुजीत कुमार पर असर होता नहीं दिख रहा है.

सीएम साहब! सरकारी स्कूलों में जान हथेली पर रखकर पढ़ाई करते हैं बच्चे

UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें