उत्तर प्रदेश सरकार ने महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज झांसी में मरीज का पैर काटकर उसके सिर के नीचे रखने के मामले को गंभीरता से लिया है। मंत्री से लेकर मुख्य सचिव तक ने संवेदनशीलता दिखाते हुए प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए चिकित्सकों व अन्य स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन के निर्देश पर दो डॉक्टर व दो नर्स को निलंबित कर दिया गया है। जबकि डॉक्टर ऑन कॉल को चार्जशीट दी गई है। शासन ने इस मामले में जांच बैठा दी है और मेडिकल कालेज की प्रधानाचार्य से पूरे मामले पर रिपोर्ट तलब की गई है।

प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा रजनीश दुबे ने बताया कि जिस समय ये घटना हुई उस दौरान ड्यूटी पर तैनात इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर डॉ. महेंद्र पाल सिंह, सीनियर रेजीडेंट आर्थोपैडिक डॉ. आलोक अग्रवाल, सिस्टर इंजार्ज दीपा नारंग व नर्स शशि श्रीवास्तव को निलंबित कर दिया गया है। डॉक्टर ऑन कॉल डॉ. प्रवीण सरावगी पर चार्जशीट जारी की गई है। प्रदेश के मुख्य सचिव राजीव कुमार ने बताया कि इस मामले में जांच बैठा दी गई है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा इस मामले पर नजर रखे हुए हैं।

बता दें कि झांसी के लेचुरा थाना क्षेत्र के इत्याल गांव निवासी घनश्याम (25) बस का क्लीनर है। बताया जा रहा है कि मऊरानीपुर में बच्चों को ले जा रही बस अनियंत्रित होकर पलट गई, इसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गया। घायल घनश्याम को इलाज के लिए झांसी के मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। यहां संवेदनहीन डॉक्टरों ने उसका बांया पैर काट दिया। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की लापरवाही ने घनश्याम का का कटा पैर उसी के सिर के सिरहाने लगा दिया।

लापरवाह डॉक्टरों ने पैर काटने के बाद घायल के सिर के नीचे तकिया बनाकर रख दिया। इसकी तस्वीरें जब सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो स्वास्थ्य महकमें में हड़कंप मच गया। जब इस लापरवाही के बारे में मेडिकल कॉलेज झाँसी के सीएमएस डॉ. हरीश चंद्र आर्य को जानकारी हुई तो वह तुरंत मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी जा पहुंचे और घायलों के परिजनों से घायल के बारे में जानकारी ली। सीएमएस ने मामले में जांच के बाद लापरवाह डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए है। झांसी मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों की लापरवाही का ये कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले भी इन लापरवाह डॉक्टरों के कई किस्से सामने आ चुके हैं। इसके चलते स्वास्थ्य विभाग की फजीहत हो चुकी है।

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