राजधानी में स्वाइन फ्लू का कहर लगातार जारी है। यही वजह हैं की इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग के भी हाथ पाँव फूल रहे हैं। लगातार कोशिशों के बाद भी स्वाइन फ्लू के मरीजों की तादाद बढ़ती जा रही है। वही kgmu और pgi  में स्वाइन फ्लू मरीजों के इलाज में लगे डॉक्टरों और कर्मचारियों को भी टीके लगवाए गए हैं।लेकिन,वही दूसरी ओर बलरामपुर अस्पताल में चिकित्सकों से लेकर पैरामेडिकल तक किसी को भी टीके नहीं लगे हैं.ऐसे में वो अपनी जान हथेली पर लेकर इलाज करने को मजबूर हैं।

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नहीं हो पाया वैक्सिनेशन

  • sgpgi  और kgmu में स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिए अलग से वार्ड बनवाए गए हैं।
  • ताकि बाकी मरीजों को स्वाइन फ्लू के संक्रमण से बचाया जा सके।
  • साथ ही दोनों अस्पतालों में स्वाइन फ्लू मरीजों के इलाज में लगे डॉक्टरों और कर्मचारियों को भी टीके लगवाए गए हैं।
  • ताकि इलाज करने वाले डॉक्टरों और कर्मचारियों को स्वाइन फ्लू से बचाया जा सके।
  • लेकिन दूसरी ओर राजधानी के जिला अस्पताल बलरामपुर में डॉक्टरों और कर्मचारियों को टीके नहीं लगवाए गए हैं।
  • ऐसे में चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ जान हथेली पर लेकर मरीजों का इलाज करने के लिए मजबूर है।

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  • अभी तक इन चिकित्सकों तथा पैरामेडिकल स्टाफ का स्वाइन फ्लू के बचाव के लिए वैक्सिनेशन नहीं हो पाया है।
  • वहीं अस्पताल प्रशासन बैक्सीनेशन के लिए भी बजट का रोना रो रहा है।
  • इसी तरह के हालात लोहिया अस्पताल के भी हैं अभी वहां भी चिकित्सकों व अन्य पैरामेडिकल स्टाफ का वैक्सिनेशन नहीं हो पाया है।
  • वहीं सिविल अस्पताल में 350 वैक्सीन आये थे जो चिकित्सकों व पैरामेडिकल स्टाफ को लगाये जा चुकें है।
  • बलरामपुर अस्पताल के सीएमएस डॉ.आरके.सक्सेना ने बताया कि 100 वैक्सीन मंगा ली गयी हैं।
  • जो चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टाफ सीधे तौर पर मरीजों के सम्पर्क में रहते हैं।
  • उनको ये वैक्सीन लगाई जायेगी।

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