भारतीय रेल हमेशा से ही आतंकियों,  नक्सलियों और लुटेरों  के निशाने पर रही है. जिसके चलते आये दिन भारतीय रेल हादसों की गाड़ी बन जाती है.
  • दरअसल दहशत फैलाने वाले रेल पटरियों पर लगी पेनड्रोल क्लिप को आसानी से निशाना बना लेते हैं.
  • ऐसे में पेनड्रोल क्लिप रेल के पटरी से निकालने के बाद इस पर से गुज़रती ट्रेन कभी भी बेपटरी हो सकती है.
  • इसी के चलते मेरठ के नरेश ने पेनड्रोल को पटरी से जोड़े रखने के लिए एक लॉक का अविष्कार किया है.
  • नरेश का यह लॉक पटरी पर डबल लॉक होने के बाद किसी भी सुरत में निकाला नही जा सकता है.

कड़ी मेहनत और प्रयोग के बाद बनाया डबल लॉक-

  • 54 साल के मेरठ के नरेश आयुर्वेदिक मेडीसन्स के सप्लायर है.
  • लेकिन कुछ नया करने की ललक उनमें स्कूली दिनों से रही है.
  • रेल हादसों से दुखी नरेश डेढ़ साल पहले हादसों की वजहें जानने के लिए कई घटनास्थलों पर गये.
  • इस दौरान उन्होंने पाया कि पटरी का असुरक्षित होना हादसों की बड़ी वजह है.

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  • जिसके बाद नरेश ने कबाड़ के लोहे से डाई बनायी और फिर पटरी की पेनड्रोल.
  • पेनड्रोल को पटरी से कैसे लॉक किया जाये इसके लिए नरेश ने बहुत से प्रयोग किये.
  • इस दौरान नरेश की महीनों की मेहनत रंग लायी.
  • नरेश अपनी अनुभव और जानकारियों के बल पर पेनड्रोल के लिए एक डबल लॉक तैयार कर लिया.

अब जान लीजिए कि पेनड्रोल आखिर है क्या?

  • पेनड्रोल लोहे की पटरियों को स्लैब से जोड़े रखने के लिए लोहे की एक घुमावदार छड़ होती है.
  • लेकिन रेलवे जिन पेनड्रोल को इस्तैमाल करता है वह गाड़ियों के दौड़ने से पैदा होने वाली वायब्रेशन से ढीली होकर पटरियों को छोड़ देती है.
  • लोहे के हथौड़े से भी पेनड्रोल को आसानी से निकाला या लगाया जा सकता है.

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  • बीते 2-3 सालों में हुए रेल हादसों में पटरियों से पेनड्रोल का गायब होना एक बड़ी वजह बना है.
  • कुछ लोग पेनड्रोल को रेल-की या जलेबी भी कहते है.
  • इसका तकनीकी नाम इलास्टिक रेल क्लिप है.

रेलट्रैक की सुरक्षा के लिए तैनात हैं तीन लाख से ज्यादा की-मैन-

  • रेलवे ने देश में तीन लाख से ज्यादा की-मैन रेलट्रैक की सुरक्षा के लिए रखे है.
  • तीन-चार किलोमीटर रेलट्रैक के दायरे में एक की-मैन तैनात रहता है.
  • जो हथौड़े से पेनड्रोल को ठौंकता रहता है.

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  • लेकिन नरेश कुमार का पेनड्रोल डबल लॉक एक बार लॉक होने के बाद उसी इंजीनियर के हाथ से खुलेगा जो इसे खोलने की तकनीक जानता है.
  • बता दें कि नरेश कुमार ने अपना यह अविष्कार पेटेन्ट भी कराया है.

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