आज हर कोई अधिक से अधिक पानी पीने की वकालत कर रहा है। कहते हैं की ज्यादा पानी पीने से आधे रोग ठीक हो जाते हैं। कहावत भी है कि ‘जल ही जीवन’ है। लेकिन, वही इसके विपरीत हमारे पौराणिक वेदों एवं आयुर्वेद में हैरान कर देने वाले तथ्य सामने आते हैं। सभी शास्त्र एक मत होकर अच्छे स्वास्थ्य के लिए किसी भी व्यक्ति को न्यूनतम मात्रा में ही जल पीने का निर्देश देते हैं। यह कहना है दिल्ली स्थित गंगाराम हॉस्पिटल के डॉ.परमेश्वर अरोड़ा का।

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अधिक पानी भी कर सकता है बीमार

  • डॉ.परमेश्वर अरोड़ा बताते हैं कि ऐसे बहुत से रोग हैं जहां जल सेवन को निषेध करते किया गया है। साथ ही असहनीय होने पर ही जल अल्प मात्रा में पीने का विधान बताया गया है।
  • उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में जल सेवन को लेकर आधुनिक विचार व शास्त्रोक्त निर्देशों में विरोधाभास दिखाई पड़ता है।
  • डॉ.परमेश्वर अरोड़ा के मुताबिक आजकल पेट की बीमारी कब्ज,एसिडिटी एवं गैस होने पर खूब पानी पीने को कहा जाता है।
  • का जाता है कि पेशाब में जलन होती है तो खूब पानी पियो,मोटापा कम करना है तो खूब पानी पियो।
  • लेकिन इन परिस्थितियों में अपनी शक्ति एवं जरूरत से बढक़र पिया गया पानी कैसे मद्द करता है।
  • इसकी कोई वैज्ञानिक विवेचना पढऩे या सुनने को नहीं मिल पाती।
  • वहीं आयुर्वेद के शास्त्रों में उक्त परिस्थितियों में जल का अधिक मात्रा में सेवन शरीर को लाभ नहीं बल्कि नुकसान पहुंचाता है।

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  • जैसे पेट के सभी रोग कब्ज ,एसिडिटि इत्यादि पाचक अग्नि के मंद हो जाने पर उत्पन्न होती हैं।
  • इन रोगों से मुक्ति पाने के लिए पाचक अग्नि का ठीक होना जरूरी होता है।
  • ऐसे में प्रश्न उठना लाजमी है कि इन रोगों के बढऩे का एक कारण पानी का अधिक सेवन है।
  • प्यास लगने पर अधिक जल एक साथ पीना बना सकता है रोगी
  • डॉ.परमेश्वर अरोड़ा ने बताया कि प्यास लगने पर भी एक साथ जल नहीं पीना चाहिए नहीं तो आप बीमार पड़ सकते हैं।
  • आयुर्वेद के अनुसार किसी भी स्वस्थ्य व्यक्ति को सामान्य मात्रा में मौसम के हिसाब से जल पीना चाहिए।
  • प्यास लगने पर भी एक साथ जल नहीं पीना चाहिए।
  • एक साथ जल पीने से पित्त ,कफ रोगों जैसे अपच,आलस्य,पेट का फूलना,जी मिचलाना आदि समस्या हो जाती है।

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