बलिया स्थित दूबेछपरा बाढ़ आने के बाद वहां के लोगों के लिए मुसीबतें बढ़ गई हैं. हर व्यक्ति को राहत पहुंचाने के सरकारी दावे खोखले नजर आने लगे हैं. सड़क किनारे रहने वाले लोग सरकार के राहत सामग्री नहीं बल्कि क्षेत्रीय लोगों के सहयोग से जिन्दा हैं. कुछ NGO कर्मियों ने भी इस आपदा में मदद की है.

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कुछ दिनों पूर्व SDM अरविन्द कुमार ने सिर पर बोरी उठाकर फोटो खिंचाई थी. इसको देखकर लगा था कि जनता के बीच ऐसे अधिकारी ही मदद कर सकते हैं.लेकिन सुर्ख़ियों में आने के बाद SDM अरविन्द कुमार का दूसरा चेहरा भी जल्दी ही सामने आ गया. गाँव के बीच फंसे लोग जिनके घर सुरक्षित हैं, उनको राशन आदि देने से SDM ने मना कर दिया है. नाव की व्यवस्था भी ठीक से नहीं हुई है. NDRF के पास जो नौका हैं उसी से 6000 लोगों को संतुष्ट रहना पड़ रहा है. इसी गाँव के मल्लाहों के पास जितनी नाव है उसी से सबका गुजारा हो रहा है.

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जाति पूछकर राशन देने के आरोप में घिरे SDM अरविन्द कुमार:

  • SDM द्वारा राशन वितरण के वक्त पीड़ितों की जाति देखकर उन्हें राशन देने का मामला भी सामने आया.
  • इस आपदा में भी जातीय दुर्भावना से
  • SDM का कहना है कि नाव उनको नहीं मिलेगी जो लोग गाँव के बीच में हैं!
  • नाव केवल उनको मिलेगी जो सड़क पर आकर रहने को तैयार होंगे.
  • अरविन्द कुमार का कहना है कि ऊपर से आदेश मिला है.
  • जबकि बुजुर्गों के होने के कारण कुछ परिवार घर छोड़कर सड़क पर आकर रहने की स्थिति में नहीं हैं.
  • SDM द्वारा जाति पूछकर राशन वितरित करने के निर्देश के कारण पीड़ित लोग खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं.
  • लगातार प्रशासन की लापरवाही सामने के आने के बाद भी प्रदेश सरकार इस पर मौन है.
  • प्रदेश सरकार के सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने हवाई सर्वेक्षण के बाद सभी को मदद करने का आश्वासन दिया था.
  • लेकिन अधिकारियों के भेदभावपूर्ण रवैये ने सरकार के दावों की पोल खोल दी है.
  • प्रशासन की लापरवाही ने करीब 40 हजार लोगों को बाढ़ की चपेट में ला दिया है.
  • रिंग बांध टूटने के बाद एक दर्जन गाँव पानी में डूबे हुए हैं.

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बाढ़ में मसीहा बनने का दावा करने वाले SDM अरविन्द कुमार के इस बर्ताव के बाद ग्रामीणों में रोष है. इसकी शिकायत डीएम को की गई है लेकिन अभी भी स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है.

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