उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में एक ओर सरकार सब पढ़ें सब बढ़ें के अंतर्गत शिक्षा के महत्व को जन जन तक पहुंचाने के लिए सभी सरकारी विद्यालयों में तरह तरह की योजनाएं लागू करके बच्चो को उत्साहित करने के लिये बच्चों को स्कूल बुलाकर उच्च शिक्षा देने का हर संभव प्रयाश कर रही है लेकिन दूसरी और सरकार की सबसे महत्वपूर्ण योजना सर्व शिक्षा अभियान को किस तरह ताक पर रखकर अपने अधिकारियो को भी गुमराह करते है।

कुछ शिक्षक चला रहे अपनी मनमानी :

पूरा मामला मोहम्मदी तहसील क्षेत्र के गाँव जैती फिरोजपुर में स्थित राजकीय हाईस्कूल विद्यालय का है जहाँ पर तैनात दोनों शिक्षकों में से कोई भी मौजूद नहीं मिला। बस एक सज्जन महोदय प्रिंसिपल की कुर्सी पर आराम फरमा रहे थे और बच्चे इधर उधर घूम रहे थे। जब इस मामले में उनसे बात की गयी तो हड़बड़ा से गये और बताया कि स्कूल की एक टीचर तो बीमार है जो कि एक दिन की छुट्टी लेकर अपने घर गई है और दूसरी जो टीचर है वही स्कूल की प्रेंसिपल है, वो किसी काम से बाहर गयी है। जब उससे पूछा कि आप कौन है तो उसने बताया कि मैं एक प्राइवेट कर्मचारी हूँ मुझे ज्योति मैडम ने 2000 रूपए महीने पर रखा है और मैं यही बच्चो को पढ़ाता हूं।

क्या बोली प्रिंसिपल :

स्कूल की प्रिंसिपल ज्योति का मोबाइल नंबर लेकर जब उनसे बात की गई तो उन्होंने बताया कि वो लखीमपुर जा रही है। जीआईसी लखीमपुर में बच्चो की खेल प्रतियोगिता में उनकी डियूटी लगी है और गेम समिति में उनको मेंबर बनाया गया है और वे शाम को वापस आ जाएँगी। दूसरे दिन भी मैडम स्कूल नहीं पहुँची।

दूसरे दिन जब बात की गई तो बताया कि वह अभी तीन दिनों के बाद ही आयेगी पर तीसरे दिन जब स्कूल में तैनात प्राइवेट कर्मचारी से आम जनता बनकर बात की तो उसने बताया कि भइया दोनों मेडम पाँच छः दिनों से स्कूल नहीं आ रही है हम बहुत परेशान है कोई पढ़ाई नहीं होती है। स्कूल में लड़कियां और लड़के सभी बड़े-बड़े है। कभी कोई बात हो जायेगी तो हम क्या करेंगे।

क्या बोले जिम्मेदार :

जब इस संम्बंध में उप जिलाधिकारी मोहम्मदी से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि आप सम्बंधित विभाग के अधिकारी से बात करिये मेरे पास अभी टाइम नहीं है। इस संबंध में जिला विद्यालय निरीक्षक से बात की गई तो उन्होंने बताया कि ज्योति मैडम कल तो यहाँ आई थी। ऑफिस के काम से पर अगर पाँच दिन से नहीं आ रही है तो मै इस मामले को अपने स्तर से देखता हूं।

सवाल यह उठता है कि अगर दो टीचरों में एक टीचर बीमार है तो अधिकारियो द्वारा दूसरे टीचर की डियूटी लगाना ये साफ़ करता है कि अधिकारी की जानकारी में है कि स्कूल में प्राइवेट कर्मचारी है और वो स्कूल चलाएगा।

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