विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के 15 संगठनों व श्रम संघों की संयुक्त कार्यकारिणी की बैठक में एलान किया गया कि उत्तर प्रदेश के समस्त ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी और इन्जीनियर आगामी 12 सितंबर से कार्य बहिष्कार करेंगे। समिति ने टकराव के लिए प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि भीषण गर्मी में बिजली संकट के लिए पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन का कर्मचारी विरोधी हठवादी रवैया है, जिसके चलते बिजली कर्मचारियों को आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ा है।

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कर्मचारियों को मिले न्याय

  • बैठक के बाद बिजली कर्मचारी और अभियंता मार्च करते हुए शक्ति भवन तक गए और प्रबंधन को ज्ञापन सौंपा।
  • समिति ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से प्रभावी हस्तक्षेप करने की अपील की है।
  • जिससे कर्मचारियों को न्याय मिल सके और भीषण गर्मी में बिजली उद्योग को अनावश्यक टकराव से बचाया जा सके।
  • विद्युत् कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की सभा में 1000 से अधिक बिजली कर्मचारी और इंजीनियर प्रतिनिधि मौजूद थे।

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  • सभा में एक प्रस्ताव पारित कर निर्णायक संघर्ष का फैसला लिया गया।
  • निर्णय के अनुसार 12 सितंबर को सुबह आठ बजे से सभी ऊर्जा निगमों के कर्मचारी और अभियंता पूरी तरह काम बंद कर देंगे।
  • पहले चरण में उत्पादन गृहों,400 केवी पारेषण पाली में कार्यरत कर्मचारियों को कार्य बहिष्कार से अलग रखा है।
  • जिससे बिजली का ग्रिड पूरी तरह ठप न हो।
  • चेतावनी दी गई है कि यदि कर्मचारियों की न्यायोचित मांगो को न माना गया तो कर्मचारी और अभियंता काम बंद कर देंगे।
  • आगामी 30 अगस्त को राजधानी सहित सभी परियोजना और जिला मुख्यालयों पर कर्मचारी विरोध सभा करेंगे।

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  • समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि विगत 28 जून को पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष आलोक कुमार ने संघर्ष समिति को पत्र दिया था।
  • जिसमे लिखा था कि वेतन के साथ सातवें वेतन पुनरीक्षण का भुगतान किया जाएगा।
  • लेकिन आज तक इस स बन्ध में कुछ नहीं किया गया है जिससे बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है।
  • उन्होंने बताया कि निजी घरानों से बिजली खरीदने के लिए सरकारी क्षेत्र के बिजली घरों को बंद किए जाने से।
  • भी कर्मचारियों व अभियंताओं में जबरदस्त रोष व्याप्त हो गया है।

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क्या हैं मुख्य मांगें

  • कर्मचारियों व पेंशनरों के लिए सातवें वेतन पुनरीक्षण का आदेश जारी किया जाए।
  • सभी ऊर्जा निगमों का एकीकरण किया जाए व सरकारी क्षेत्र के बिजली घरों को बंद न किया जाए।
  • सभी कार्मिकों को पूर्ववत मिल रही प्रार िभक वेतन वृद्धियां व तीन समयबद्ध वेतन मान प्रदान किया जाए।
  • 14 जनवरी 2000 के बाद नियुक्त सभी कार्मिकों के लिए पुरानी पेंशन प्रणाली लागू की जाए।
  • संविदा कर्मियों को ठेकेदार के रहम पर न छोडक़र सीधे ऊर्जा निगमों से भुगतान किया जाए।
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