सावन के पहले दिन ही तहज़ीब और भाई चारे की गज़ब की मिसाल देखने को मिली उत्तर प्रदेश के जिले देवरिया में. यहाँ करीब 15 मुस्लिम कांवड़िए बाबा धाम की यात्रा के लिए रवाना हुए। ये राजनेता चाहे कितने भी हिन्दू-मुस्लिम  के राजनितिक खेल क्यों न खेल लें, ज़मीनी हकीकत उससे बहुत दूर है। ये धर्मों  की असहिष्णुता केवल न्यूज़ चैनल पर ही देखने को मिलती है।

15 मुस्लिम कांवड़िया बाबा धाम की यात्रा के लिए रवाना:

मामला रामपुर कारखाना स्थित कुशाहरी गांव का है, जहां 70 कांवड़ियों ने आज झारखंड स्थित बाबा धाम की यात्रा शुरू की और इन्ही 70 में से 15 कांवड़िये मुस्लिम समुदाय के थे। और सबसे चौंकाने वाली बात ये है की उन सभी ने भगवा वस्त्र पहना था। वही भगवा रंग जिसपे सालों से हिन्दू सियासत होती आ रही है। इन सभी मुस्लिम कांवड़ियों ने अपने खर्च पर इस यात्रा में शिरकत की है।

ये श्रद्धालु पहले बस से सुल्तानगंज जायेंगे जो बिहार में है और वहां से गंगा नदी का जल ले के 140 किलोमीटर पैदल चलकर झारखण्ड के जसीडीह स्थित बाबा धाम मंदिर में जल चढ़ाएंगे।

ग्राम प्रधान ने दिखाई बस को हरी झंडी:

ग्राम प्रधान निज़ाम अंसारी ने हरी झंडी दिखा कर बस को रवाना किया। निज़ाम अंसारी ने कहा कि, “मैं चाहते हूं कि गांव के सभी लोग सभी धर्मों से जुड़े आयोजनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें, ताकि वे एक-दूसरे के करीब आएं और समाज की सेवा के ज्यादा से ज्यादा अवसर मिले।”

समाजसेवी डॉ. संजीव शुक्ला ने कहा कि, “कुशाहरी गांव में गंगा-जमुनी तहजीब की वास्तविक मिसाल पेश की गई है। भाईचारा मजबूत करने के लिए यह बहुत अच्छा कदम है। खुशी है कि दोनों समुदायों के लोग प्रेम और एकता की नई मिसाल कायम कर रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा कि, “समाज को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए और किसी भी तरह की नफरत को भुलाकर शांति और प्रेम को अपनाना चाहिए।” इन्होंने भी बस को हरी झंडी दिखाई थी।

ये शहरी लोग चाहे बटवारे में अपने हिस्से के लिए कितना भी लड़ लें, अपने गाँव के लोग तो अब भी रोटी बाँट कर खाते हैं।

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