केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश की योगी सरकार भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए मुहिम चला रही है। लेकिन ताज नगरी आगरा में इस मुहिम का असर दिखाई नहीं देता। यहां रोडवेज विभाग में फर्जी तरीके से 300 से ज्यादा चालक-परिचालकों की भर्ती की गई और शिकायतकर्ता द्वारा 300 से ज्यादा बार आईजीआरएस मैं शिकायत दर्ज करने के बाद भी आज तक रोडवेज के तत्कालीन आरएम पर किसी तरह की कोई कार्यवाही तक नहीं की गई।

दरअसल यह पूरा मामला साल 2010 से 2012 का है। जब आगरा में बतौर आर एम रहे नीरज सक्सेना ने नियमों को ताक पर रख फर्जी तरीके से 300 से ज्यादा चालक-परिचालकों की विभाग में भर्ती करा दी। जिसके बदले rm रोडवेज को मोटी रकम भी मिली थी। नीरज सक्सेना ने यह सारा खेल फर्जी दस्तावेजों और फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर करीब 306 कर्मचारियों को चालक और परिचालक बनाया।

जिसकी जानकारी मिलते ही शिकायतकर्ता प्रवीण कुमार ने इस पूरे मामले को लेकर आगरा से लेकर लखनऊ तक पड़ताल की और फर्जी नियुक्ति मामले में आगरा कमिश्नर से लेकर मुख्यालय लखनऊ तक लिखित शिकायत की। लेकिन सत्ता का संरक्षक प्राप्त नीरज सक्सेना बदलते साल के साथ-साथ तरक्की के नए मुकाम हासिल करता गया। शायद भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारी के लिए सरकार की ओर से ये कोई तोहफा था या फिर भ्रष्टाचार को खत्म करने की मुहिम अपना दम तोड़ रही थी,ये बड़ा सवाल है।

शिकायतकर्ता का कहना था कि इस पूरे मामले में कई बार लखनऊ और कानपुर के मुख्यालय से जांच में पाया गया कि नीरज सक्सेना द्वारा दिखाए गए सर्टिफिकेट पूरी तरह से फर्जी है। जिनका विभाग के रजिस्टर में कोई भी जिक्र ही नहीं है और ना ही किसी भी कर्मचारी का क्रमांक दर्ज है इस पूरे मामले पर विभाग ने दो अधिकारियों को सस्पेंड जरूर किया था। लेकिन जांच रिपोर्ट आने के बाद भी आरोपी नीरज सक्सेना पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। इसके वर्तमान में नीरज सक्सेना को कानपुर का चार्ज दिया गया है। यह बताओ रीजन मैनेजर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

आगरा आये परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह से जब इस पूरे मामले पर सवाल किया गया तो उनका कहना यह था कि आपके द्वारा मामला संज्ञान में लाया गया है। इस तरह भ्रष्टाचार करने वाले किसी भी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा। अगर जांच रिपोर्ट मेरे कार्यालय में पहुंची है तो जल्द ही उस पर अमल करते हुए दोषी आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। आपको बता दें कि कमिश्नर के आदेश पर जांच अधिकारी और एसीएम थर्ड सुरेंद्र सिंह ने मामले की जांच में इस पूरे भ्रष्टाचार पर कई भ्रष्ट अफसरों पर FIR दर्ज करने तक की संतुति की है। जिसके बाद उम्मीद जताई जा रही है कि अगर रिपोर्ट पर अमल हुआ तो रोडवेज के कई बड़े अफसर कार्यवाही में फंसेंगे।

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