उत्तर प्रदेश सरकार किसानों के हालात सुधारने को लेकर बड़े बड़े दावे करती है. पर प्रशासनिक और निचले स्तर पर अधिकारी व कर्मचारियों का व्यवहार इनके लिए किस तरह का है, इस बात की जाँच करवाने पर सरकार का ध्यान नहीं है. शायद इसी का परिणाम है कि किसान आत्मदाह कर रहे हैं या फिर अपने हालातों के बोझ तले इतना दब जा रहे है कि उनकी आयु कम होती जा रही है.

3 दिन से लाइन में खड़ा था किसान, पर नहीं बिका गेहूं:

अमेठी में बीते दिन किसान की मौत के बाद आज उप-मंडल मजिस्ट्रेट देवी दयाल ने मामले की जाँच के आदेश दिए है. उन्होंने कहा, ‘हमने मृत्यु के कारण की पहचान करने के लिए शरीर को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा है। मामले की जांच की जा रही है, अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। ‘

क्या है मामला:

मामला अमेठी का है. जहाँ 3 दिन से अपना अनाज बेचने के लिए कतार में खड़ा होने वाला किसान इतना थक चुका होता है अपने हालातों और कर्चारियों की कार्यप्रणाली से कि उसकी मौत हो जाती है.

बता दें कि विपणन शाखा जायस अमेठी में गेंहू बेचने के लिए आए किसान का गेहूं तीन दिन से नही खरीदा गया। जब किसान दो मई को अपना गेहूं ट्रैक्टर में लादकर गेहूं क्रय केन्द्र पहुंचा तो वहां विपणन अधिकारी अरूणा सिंह ने बोरा न होने की बात कह उसके गेहूं का तौल नहीं कराया। जिसके बाद किसान अब्दुल सत्तार तीन दिन से अपने गेहूं की तौल के लिए केंद्र में ही पड़ा रहा.

विपणन अधिकारी की लापरवाही से किसान की मौत:

किसान का गेंहू तौल ना होने के चलते गेहूं क्रय केन्द्र में 3 दिन तक खड़ा रहा और रात भी वहीं गुजारने को मजबूर हो गया. बीते दिन किसान ऐसा सोया कि उठ ही ना सका. उसकी गेहूं क्रय केन्द्र में ही रात में मौत हो गयी.

इसके बाद गरीब किसान के परिवार में मातम ही छा गया. परिवार ने केंद्र प्रभारी पर हत्या करने का अारोप लगाया है। किसान की मौत के बाद परिजनों का रो- रोकर बुरा हाल है।

किसानों ने लगाये गेहूं क्रय केन्द्र पर गम्भीर आरोप:

कोतवाली प्रभारी ने शव को कब्जे में लेकर नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचा दिया। वहां से पंचनामे के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। किसानों का कहना है कि मंडी समिति के सरकारी गेहूं क्रय केन्द्र पर किसानों का शोषण हो रहा है।

गौरतलब  है कोंहफ्ते भर पहले ही किसानों ने जन आन्दोलन भी किया था। किसानों का कहना है कि गेहूं क्रय केन्द्र पर किसानों बजाए बिचौलियों के माध्यम से व्यापारियों के गेहूं की खरीद होती है और किसानों को तौल के नाम पर तिथि निर्धारित कर टरका दिया जाता है।

वहीं मौके पर पहुंची एसडीएम गिरिजेश कुमार चौहान व जिला विपणन अधिकारी बीसी गौतम का कहना है कि पूरे प्रकरण की पारदर्शी जांच होगी। किसान की मौत का सबब बनने वाले अधिकारी बख्शे नहीं जाएंगे.

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